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दस छन्न पकैया
(१)
छन्न पकैया छन्न पकैया, गाँव दिखा जो नेता,
बुढ़िया काकी पूछे - "का फिर चुनाव आया बेटा ?"
(२)
छन्न पकैया छन्न पकैया, छन्न के नीचे चाकू
गाँव क लड़िकन खेले कह कह, "सारे नेता डाकू" |
(३)
छन्न पकैया छन्न पकैया, हाथी को ढकवाया,
था इशारा हाथ का या फिर, थी माया की माया |
(४)
छन्न पकैया छन्न पकैया, छूते पाँव हमारे
जीत जायेंगे फिर देखना, माथ* चढ़ेंगे सारे |
(५)
छन्न पकैया छन्न पकैया, बजे ऐश का बाजा,
भूखी मरती जाये परजा, मौज उडाये राजा |
(६)
छन्न पकैया छन्न पकैया, सब वोटों की गोटी,
भूखे नंगे दल्ले भी अब ,खायें दारु बोटी | 
(७)
छन्न पकैया छन्न पकैया, देख रहे हो कक्का,
बड़े-बड़े जो हैं बाहुबली, टिकट सभी का पक्का |
(८)
छन्न पकैया छन्न पकैया, गया आँख का पानी,
अपनों को रोटी भी दूभर,  दुश्मन को बिरयानी |
(९)
छन्न पकैया छन्न पकैया, क्या होगी अब फाँसी,
हाकिम की यूँ मेहर हुई है, हो ना पाये खाँसी |
(१०)
छन्न पकैया छन्न पकैया, कैसी "बागी" कनिया**,
देशी दूल्हा भाये नाही, सोनिया हो कि सनिया |

*माथ = सर,    **कनिया = दुल्हन
(चित्र गुगल से साभार)

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Comment

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 23, 2012 at 8:09pm

आदरणीय श्री प्रकाश सैनी जी , छन्न पकैया आपको पसंद आये , मेरा प्रयास सफल हुआ, आभार आपका |

Comment by Yogendra B. Singh Alok Sitapuri on January 23, 2012 at 3:37pm

 

छन्न-पकैया छन्न-पकैया खूब लिखा है बागी

पञ्च प्रदेशों में भारत के धुन चुनाव की लागी

 

छन्न-पकैया छन्न-पकैया बहुत बधाई बागी

माया उमा सोनिया सुषमा फिरतीं भागी भागी  :-)

Comment by दुष्यंत सेवक on January 23, 2012 at 2:53pm

आद बागी जी.. छन् पकैया में वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर सटीक शब्दों में अपने जो चुटकी ली है वह काबिल ए तारीफ है.. बस दुआ यह है की किसी तरह यह आवाज रहनुमाओं तक पहुँच जाये और उन्हें अपने किये पर पछतावा हो तो इन चुनावों के बाद हम कुछ बेहतरी की उम्मीद कर सकते हैं... बहरहाल इस खुबसूरत प्रस्तुति और इस अद्भुत विधा तथा आप को नमन है...  

Comment by Kiran Arya on January 23, 2012 at 2:40pm

छन्न पकैया छन्न पकैया, सब वोटों की गोटी,
भूखे नंगे दल्ले भी अब ,खायें दारु बोटी |

गणेश जी छन्न पकिया छंद में लिखी एक बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाये.........

Comment by mohinichordia on January 23, 2012 at 2:23pm

 छन्न पकैया   छन्न पकैयाका चुनाव फिर आया... ,"गया आँख का पानी . . राजनीति का ये छन्न पकैया अच्छा लगा |बधाई 

Comment by shashiprakash saini on January 23, 2012 at 2:03pm
//छन्न पकैया छन्न पकैया, गया आँख का पानी,
अपनों को रोटी भी दूभर,  दुश्मन को बिरयानी //

इस शानदार छन्न पकैया के लिए बधाई गणेश जी 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 23, 2012 at 10:36am

आभार आदरणीया शन्नो दी |

Comment by Shanno Aggarwal on January 23, 2012 at 1:05am

गणेश, छन्न पकैया छंद में आपने बहुत आनंददायक रचना लिखी है. बधाई.  

छन्न पकैया-छन्न पकैया, भरती फिरे कुलांचें

योगराज की करामात, सब अपनी प्रतिभा जांचें l  


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 22, 2012 at 9:40pm

"कहमुकरी" और "छन्न पकैया" को डाइलिसिस से उठाकर पुनर्जीवित करने का श्रेय ओबीओ को जाता है - मुझे नहीं.  जय ओबीओ.   


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2012 at 8:55pm

सराहना हेतु आभार संजय भाई, आप तो छन्न पकैया पर पहले ही अच्छा काम किये है, आपकी सराहना सचमुच विशेष है |

कृपया ध्यान दे...

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