For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु से लघुतम बात को, जो देते हैं तूल।
ये तो निश्चित जानिए, मन में उनके शूल।१।
*
बनते बाल दबंग अब, पढ़ना लिखना भूल।
हुए नहीं क्यों सभ्य वो, जाकर नित स्कूल।२।
*
करती मैला भाल है, मद में उठकर धूल।
करे शिला को ईश यूँ, न्योछावर हो फूल।३।
*
साक्ष्य समय विपरीत पर, तजे सत्य ना मूल।
ज्यों नद सूखी  पर  हुए, एक  नहीं  दो कूल।४।
*
जलने को पथ काल का, तकना होगी भूल।
हवा कभी  होती  नहीं, सुनो  दीप अनुकूल।५।
*
कड़वी बातें तीर सी, मन में मन मत हूल।
नव जीवन को आज तो, बीती बातें भूल।६।
*
कहने को सब पेड़ हैं, पीपल आम बबूल।
कुछ देते फल फूल हैं, कुछ दें केवल शूल।७।
**


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 30, 2021 at 1:41pm

आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 30, 2021 at 11:19am

आदरणीय धामी जी बहुत सुन्दर दोहे हुए...सादर बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 23, 2021 at 10:20am

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

इंगित दोहे में "भी" शब्द छूट गया है। इसे यूँ पढ़ियेगा - "जाकर भी नित स्कूल "

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 23, 2021 at 10:17am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और स्नेह के लिए हार्दिक आभार।

इंगित दोहे में स्कूल की मात्रा 3 ली है। इसमें "भी" शब्द छूट गया है। 

 इसे यूँ पढ़ियेगा - "जाकर भी नित स्कूल "

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 23, 2021 at 10:11am

आ. भाई नरेंन्द्र जी, हार्दिक धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 22, 2021 at 5:10pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकार करें, आदरणीय समर कबीर साहिब द्वारा इंगित दोहे के उक्त चरण में मात्राएं कदाचित कम हैं, देखियेगा।  सादर। 

Comment by Samar kabeer on December 22, 2021 at 2:55pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,अच्छे दोहे रचे आपने, बधाई स्वीकार करें।

'जाकर नित स्कूल'--इसमें 'स्कूल' शब्द की कितनी मात्रा ली है आपने?

Comment by narendrasinh chauhan on December 22, 2021 at 10:40am

khub sundar sir

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service