For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलो जी चलो कलम उठाएं.चलो जी चलो कलम उठाएं.

चलो  जी चलो कलम उठाएं;चलो  जी चलो कलम उठाएं.
लिख के कविता लेख कहानी,हम लेखक बन जाएं
तदुपरांत वो बकरा ढूंढें जिसको लिखा सुनाएं
चलो  जी चलो कलम उठाएं.चलो  जी चलो कलम उठाएं.
-०-०-०--०-०-०-०-०-०-०-०-
कागज़ कलम ; डाक खर्चे की ;पहले युक्ति लगाएं,
लिख लिख रचनाएँ अपनी ;अख़बारों को भिजवाएं .
खेद सहित लौटी रचनाएँ अपने दुखड़े सुनाएं
उन रचनाओं को फिर डाक से  और जगह भिजवाएं
चलो  जी चलो कलम उठाएं.चलो  जी चलो कलम उठाएं.

मनवा सोचे चलो किसी भी सहित्य सभा में जाएं  ;
अपने मिलें बिरादरी वाले ,सुन  लें और सुनाएं;
उठा पटक साहित्य सभा की जब मंचित हो जाएं
लौट ओ बुधु चलो तो घर को ,मनुआ जी अकुलाएं.
चलो  जी चलो कलम उठाएं.चलो  जी चलो कलम उठाएं.

जस तस कर के छपने लागें;तब तृष्णा बढ़ जाएं ;
अब पुस्तक छपवाने को लो लेखक मन अकुलाएं .
प्रकाशक पूँजी मांगे और तिस पर भी इतराएँ .
"दो शब्द" लिखवाने को फिर लेखक दर  दर जाएं
चलो  जी चलो कलम उठाएं.चलो  जी चलो कलम उठाएं.

"दीप" की पुस्तक के बारे में दो शब्द लिख डाले ;
"अहसानों के गठर" लिख ते ही दीप -सर डाले
निज पुस्तक पे उस के एवज गोष्ठी खट से मांगी ;
साहित्य सभा की  गोष्टी पर लो  दीप जी  जेब कटाएँ
चलो  जी चलो कलम उठाएं.चलो  जी चलो कलम उठाएं.
दीप जीर्वी

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on July 4, 2012 at 12:39pm

जस तस कर के छपने लागें;तब तृष्णा बढ़ जाएं ;
अब पुस्तक छपवाने को लो लेखक मन अकुलाएं .
प्रकाशक पूँजी मांगे और तिस पर भी इतराएँ .
"दो शब्द" लिखवाने को फिर लेखक दर  दर जाएं
चलो  जी चलो कलम उठाएं.चलो  जी चलो कलम उठाएं.

आपने लेखक की मन की पीड़ा और उसके दर्द के साथ साथ उसके उमंगों को केनवास दे दिया , बहुत बढ़िया ज़िर्वी साब !

Comment by Rekha Joshi on July 3, 2012 at 6:29pm

आदरणीय दीप जी ,बढ़िया प्रस्तुतिपर आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 2, 2012 at 11:09pm

कागज़ कलम ; डाक खर्चे की ;पहले युक्ति लगाएं,
लिख लिख रचनाएँ अपनी ;अख़बारों को भिजवाएं .
खेद सहित लौटी रचनाएँ अपने दुखड़े सुनाएं 
उन रचनाओं को फिर डाक से  और जगह भिजवाएं 
चलो  जी चलो कलम उठाएं.चलो  जी चलो कलम उठाएं.

इस कवि लेखक वर्ग की पीड़ा को व्यक्त करती और सटीक हालात को  व्यक्त करती रचना ..ये तो हम सब कहीं न कहीं भोग चुके हैं भोग रहे हैं ...काश कलम को भी सम्मान मिले ..अब हर क्षेत्र में सामजिक सुरक्षा की पहल हो रही है फिर इस क्षेत्र को नजर अंदाज क्यों ???...बहुत प्यारी रचना ..जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2012 at 9:15pm

रचना की प्रस्तुति के लिये साधुवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2012 at 8:21pm

अच्छी रोचक रचना है साहित्य कारों को कैसे कैसे पापड बेलने पड़ते हैं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 2, 2012 at 3:57pm
साहित्यकार के मार्ग में आने वाले हर स्पीड ब्रेकर को इस खूबसूरत रचना के माध्यम से सबके साथ साँझा करने हेतु आपका आभार आ. दीप ज़िरवी जी. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।"
6 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"लक्ष्मण धामी जी अभिवादन, ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
6 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, मतले के ऊला में खुशबू और हवा से संबंधित लिंग की जानकारी देकर गलतियों की तरफ़…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
7 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service