For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर धड़कन एक आहट जैसी,
वो जो खोया कहीं मिलेगा ,
हर चेहरे में छाया उसकी ,
नहीं नहीं ये वो तो नहीं है .

क्यों हर कविता प्रेम ग्रन्थ सी
क्यों शब्दों में इन्तजार है,
दर्द नहीं बस आकुलता सी
नहीं नहीं ये नेह नहीं है.

खोना पाना , पाना खोना ,
जीवन की ये परिपाटी सी
कुछ मिलता है खोकर देखो
कुछ मिलने से ही खो जाता

मुझे है आहट उन यादों की
जो हर पल दस्तक देती हैं
मैं जो खोलूँ द्वार मिलन के
मन के भीतर मेरे हंसती...

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 26, 2012 at 6:05pm

मुझे है आहट उन यादों की
जो हर पल दस्तक देती हैं
मैं जो खोलूँ द्वार मिलन के
मन के भीतर मेरे हंसती...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by seema agrawal on December 21, 2012 at 7:27pm

बहुत खूब सुमन जी ..सुन्दर रचना सौरभ जी ने जो इंगित किया है उस पर ध्यान दीजिये 

हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 

Comment by SUMAN MISHRA on December 21, 2012 at 2:50pm

आप सभी का आभार,,,,आप सब की उदारता से अभिभूत हूँ ,,,,

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 21, 2012 at 11:31am

वाह आदरणीया प्रस्तुत चित्र और रचना दोनों में बेहतरीन समानता है बधाई.

Comment by SUMAN MISHRA on December 21, 2012 at 12:50am

आप सभी श्रेष्ठ जन हैं आदरणीय हैं..आप सबकी समीछा सुंदर शब्दों की माला होती है, जिनसे ही बहुत कुछ सीखने को मिलता है,,,बहुत बहुत आभार,,,,आप सब को मेरा प्रणाम,,,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2012 at 11:37pm

वाह चित्र के अनुरूप रचना या रचना के अनुरूप चित्र. इन पूरक संज्ञाओं के प्रस्तुतिकरण के लिए बधाई.

आपकी पद्य-प्रक्रिया अति उर्वर मनस-भूमि से अत्यंत उदारतापूर्वक संजीवनी लेती है, इसमें कोई संदेह नहीं.  लेकिन.. .. खैर, जब आप संयत होइयेगा तबही..  तबतक के लिए, आपके शब्द-संजाल में हम भी उलझे फिरें.. 

शुभेच्छाएँ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 20, 2012 at 7:12pm

सुन्दर भाव अभिव्यक्ति के लिए बधाई सुमन जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2012 at 6:51pm

क्यों हर कविता प्रेम ग्रन्थ सी 
क्यों शब्दों में इन्तजार है, 
दर्द नहीं बस आकुलता सी 
नहीं नहीं ये नेह नहीं है.---दिल किसी के लिए धड़कता अगले ही क्षण खुद से ही छुपाता नहीं नहीं ये नेह नहीं है दिल खुद से ही संवाद करता भावनाओं का ये लुकाछिपी का खेल बहुत सुन्दरता से रचना में ढाला है बहुत अच्छा लिखती हैं आप प्राची जी की बात पर गौर करना बाकी शुभ कामनाएं 

Comment by SUMAN MISHRA on December 20, 2012 at 6:43pm

ji prachi ji thodi samay ki kamee ki vajah se....aapne bilkul sahee kahaa,......sabki rachnayen padnee chahiye...poori koshish karoongi....

i


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2012 at 6:40pm

प्रिय सुमन जी 

इस सुन्दर भाव प्रवण रचना के लिए बधाई स्वीकारे.

इधर आपकी कई रचनाएं पड़ने का मौक़ा मिला.

आपके पास सुन्दर भाव हैं, सुन्दर शब्द है, पर कविताओं में जो रवानी चाहिए वो बीच में गुम हो जाती है, प्रवाह डगमगा जाता है.

आप औरों की रचनाएं पड़ें और उनपर भी अपनी राय दें, नवगीतों को पड़ें , ज्ञान के आदानप्रदान से अनायास ही रचनाएं आवश्यक तत्वों को पा कर पूर्णता की और बढ़नें लगती हैं .

शुभेच्छाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service