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विकट विरल है राह .................

विकट विरल है  राह  कठिन कदम कदम कुहासा है

खड़ा मुसाफिर मुश्किल में वो बेबस बहुत रूआंसा है

संयम और सहजता से निरंतर नित निज काम करो

शनै शनै पुरजोर प्रयासों से प्रज्ज्वलित इक आशा है

संकल्पों के यज्ञकुंड में श्रमनीर का  अर्घ्य दान करो

दिनकर दिलबर रश्क करे जिन्दगी की यह परिभाषा है

अरमानों के बीज रोप कर  सींचो  रोज  पसीने से

छ्टे कुहासे साफ़ डगर स्फुटन अंकुर की अभिलाषा है

@आनंद ०७/०१/२०१५ "मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 6:57pm

सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति, आदरणीय आनंद जी. बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2015 at 10:48am

आदरणीय आनंद  भाई , बहुत सुन्दर रचना की है , हार्दिक बधाई । बस अग्रजों की बातों का खयाल  करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 26, 2015 at 8:40am

सुंदर भावपूर्ण रचना है आनंदजी इस प्रयास हेतु बधाई


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 1:42pm

आनंद जी, इस सद्प्रयास हेतु बधाई, सुन्दर भाव से युक्त है आपकी रचना, मित्रों की कही बात विचारणीय है.

Comment by somesh kumar on January 25, 2015 at 7:47am

सुंदर प्रस्तुति पर वही बात टंकन -त्रुटियों पर ध्यान दें |ये विचारों की प्रभाविकता को कम कर देते हैं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 25, 2015 at 3:24am

सुन्दर प्रस्तुति ....  तुकबंदी के शब्दों और आदरणीय हरिप्रकाश जी की बातों पर गौर जरुर कीजियेगा.

Comment by Sushil Sarna on January 24, 2015 at 7:13pm

आदरणीय सुंदर प्रस्तुति  .... आदरणीय दूबे जी के कथन से मैं सहमत हूँ। 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 24, 2015 at 6:37pm

आनंद जी सुन्दर रचना हार्दिक बधाई आपको ... बेवश --- बेबस है ...रुआसा .....रुआंसा......शब्द को देख लीजियेगा !

 

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 24, 2015 at 6:28pm
बहुत सुन्दर आनन्द जी ! बधाई स्वीकार करें!

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