For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो अतुकांत - वैचारिक रचनाएँ ( गिरिराज भंडारी )

1- आंतरिक सम्बन्ध

**************

मैंने पीटा तो दरवाज़ा था
हिल उठी साँकल ...

खड़ खड़ कर के .... 

और..

आवाज़ अन्दर से आयी

कौन है बे.... ?

बस...

मै समझ गया

तीनों के आंतरिक सम्बन्धों को

******

 2- आग और पानी

*****************

आग बुझे या न बुझे

आग लग जाना दुर्घटना है, या साजिश

किसे मतलब है

इन बेमतलब के सवालों से

 

ज़रूरी है,  अधिकार ....

पानी पर

सारा झगड़ा इसी का है

 

उस समय भी जब आग लगी हो

और उस समय भी जब आग न लगी हो

 

क्यों कि ,

ये पानी उतना ही छिड़कना चाहते हैं , जितने से

घर तो बच जाये .. जलने से  

पर,

आग न भुझे  ...

सुलगती रहे अन्दर ही अन्दर   

फूँक भी देते हैं कभी धीरे से

मुँह छिपा के ...

 

क्यों कि

ज़रूरी है,

जूतों का औकात मे रहना ...

सर तो टोपी के लिये है न ।

************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 667

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 10, 2017 at 8:12am

आदरनीय सुशील भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 10, 2017 at 8:11am

आदरनीय बसंत भाई , मुखर सराहना के लिये हृदय से आभारी हूँ ।

Comment by Sushil Sarna on May 9, 2017 at 4:26pm

क्यों कि
ज़रूरी है,
जूतों का औकात मे रहना ...
सर तो टोपी के लिये है न ।

वाह आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब दोनों ही प्रस्तुतियां कमाल की हैं .... भावों की अद्भुत सम्प्रेषणता से लबालब इन प्रस्तुतियों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सर।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 9, 2017 at 3:42pm

अनुपम भावाभिव्यक्ति, आनंद आ गया पढ़कर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2017 at 9:33am

आदरणीय नरेन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by narendrasinh chauhan on May 8, 2017 at 12:14pm

बहोत सुन्दर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 8, 2017 at 10:24am

आदरनीय सतविन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार । आपने सही कहा .. टंकण की त्रुटियाँ हैं .... मै सुधार कर लूँगा .. आभार आपका ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 7, 2017 at 9:53am
आदरणीय गिरिराज सर उत्तम अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई।
कुछ शब्द गलत टँकित हुए हैं शायद यथा:
"मैंने" पीटा तो,"इन" बेमतलब के सवालों, ये पानी उतना "ही" छिड़कना।
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 6, 2017 at 8:22pm

आदरणीय आरिफ भाई , रकुअना पर उपस्थिति और सराहना के लिये आपका बहुत आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 6, 2017 at 8:21pm

आदरणीय सुरेश भाई , रचना की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service