For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : भइ, आप हैं मालिक तो कहाँ आपसे तुलना

२२१ १२२१ १२२१ १२२ 

 

पिस्तौल-तमंचे से ज़बर ईद मुबारक़ 

इन्सान पे रहमत का असर, ईद मुबारक़
 
पास आए मेरे और जो ’आदाब’ सुना मैं
मेरे लिए अब आठों पहर ईद मुबारक़
 
हर वक़्त निग़ाहें टिकी रहती हैं उसी दर
पर्दे में उधर चाँद, इधर ईद मुबारक़ !
 
जिस दौर में इन्सान को इन्सान डराये
उस दौर में बनती है ख़बर, ’ईद मुबारक़’ !
 
इन्सान की इज़्ज़त भी न इन्सान करे तो
फिर कैसे कहे कोई अधर ईद मुबारक़ ?
 
जब धान उगा कर मिले सल्फ़ास की पुड़िया
समझो अभी रमज़ान है, पर ईद मुबारक़ !
 
भइ, आप हैं मालिक तो कहाँ आपसे तुलना
कह उठती है रह-रह के कमर.. ईद मुबारक़ !
 
तू ढीठ है बहका हुआ, मालूम है, लेकिन
सुन प्यार से.. बकवास न कर.. ’ईद मुबारक़’ ! 

  

जो बीत गयी रात थी, ’सौरभ’ उठो फिर से
कहती है ये ख़ुशियों की सहर, ईद मुबारक
*****************
-सौरभ

Views: 1133

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 28, 2017 at 8:11pm

पिस्तौल-तमंचे से ज़बर ईद मुबारक़ 

इन्सान पे रहमत का असर, ईद मुबारक़ 
 

जिस दौर में इन्सान को इन्सान डराये 
उस दौर में बनती है ख़बर, ’ईद मुबारक़’ ! 
 
इन्सान की इज़्ज़त भी न इन्सान करे तो 
फिर कैसे कहे कोई अधर ईद मुबारक़ ? बहुत खूब

बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय सौरभ सर | हार्दिक बधाई आदरणीय |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2017 at 4:10pm

आदरणीय विजय निकोर साहब, आपसे मिला अनुमोदन मेरे दायित्वबोध को बहुगुणित करता है. हालाँकि, आजकल व्यस्तता अधिक है और पटल तथा रचनाकर्म पर आवश्यक समय नहीं दे पा रहा हूँ, लेकिन चाहे जिस कारण हो, जैसे-तैसे जो कुछ हो जाता है आप सभी के साथ साझा करने का प्रयास करता हूँ. 

आपका सहयोग बना रहे आदरणीय 

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2017 at 4:06pm

आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी मुहब्बतों से आप्लावित रहता हूँ. आपकी हौसला अफ़ज़ाई से प्रयास की गति बनी रहती है.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2017 at 4:05pm

आदरणीय तस्दीक अहमद साहब, ईद की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2017 at 4:04pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्माजी, उत्साहवर्द्धन हेतु आपका सादर धन्यवाद 

Comment by vijay nikore on July 2, 2017 at 8:23am

सारे शेर अच्छे लगे, पर निम्न तो बहुत ही खूब !

//इन्सान की इज़्ज़त भी न इन्सान करे तो 
फिर कैसे कहे कोई अधर ईद मुबारक़ ?//

इस खूबसूरत गज़ल के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय सौरभ जी।

Comment by Sushil Sarna on June 28, 2017 at 1:52pm

पिस्तौल-तमंचे से ज़बर ईद मुबारक़
इन्सान पे रहमत का असर, ईद मुबारक़

पास आए मेरे और जो ’आदाब’ सुना मैं
मेरे लिए अब आठों पहर ईद मुबारक़

वाह आदरणीय सौरभ सर वाह। .... ईद मुबारक मौके पर खूबसूरत ग़ज़ल .... ईद की सिवाईयों सी मीठी इस ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें सर।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 28, 2017 at 12:49pm
मुहतरम जनाब सौरभ साहिब,ईद पर अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by Shyam Narain Verma on June 27, 2017 at 5:29pm
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 27, 2017 at 3:31pm

आदरणीय गिरिराज भाई, आपकी टिप्पणी अपने आप में विशिष्ट आनुमोदन है. आपका सादर धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
54 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। लघु आकार की मारक क्षमता वाली लघुकथा से गोष्ठी का आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"डिलेवरी बॉय  मई महीने की सूखी गर्मी से दिन तप गया था। इतने सारे खाने के पैकेट लेकर तीसरे माले…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। यह लघुकथा पाठक को गहरे…"
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान'मैं सुमन हूँ।' पहले ने बतया। '.........?''मैं करीम।' दूसरे का…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service