परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 123वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब क़ैसर-उल जाफ़री साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"लोगों ने फूलों के बदले तलवारें मँगवा ली थीं "
22 22 22 22 22 22 22 2 (कुल जमा 30 मात्राएं)
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
बह्र: मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी (बह्र-ए-मीर)
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 25 सितंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 26 सितंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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जनाब समर साहिब, आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया
आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान जी, सुंदर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया
जनाब तस्दीक अहमद साहब बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत-बहुत बधाई
हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया
आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब आदाब,वाह बहुत ख़ूब आदरणीय,हर शेर कमाल गज़ब अद्भुत, ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय।
आदरणीय तस्दीक अहमद ख़ान जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।
हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया
आदरणीय तस्दीक भाई अच्छी ग़ज़ल कहने के लिए मुबारकबाद पेश है ।
हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया
हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया
आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब
सादर अभिवादन
उम्दा तरही ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें। सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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