For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा

1212 1122 1212 112/22

 .

गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
नशा उतार ख़ुदाया नशा उतार मेरा.
.
बना हुआ हूँ मैं जैसा मैं वैसा हूँ ही नहीं   
मुझे मुझी सा बना दे गुरूर मार मेरा.
.
ये हिचकियाँ जो मुझे बार बार लगती हैं
पुकारता है कोई नाम बार बार मेरा.  
.
मेरी हयात का रस्ता कटा है उजलत में
मुझे भरम था फ़लक को है इंतज़ार मेरा.
.
पड़े जो बेंत मुझे उस की, दौड़ पड़ता हूँ
मैं जैसे हूँ कोई घोड़ा ये मन सवार मेरा.
.
मैं उस से बच नहीं पाता हूँ गो ख़बर है मुझे   
करे है मेरी अना रात दिन शिकार मेरा.
.
हर एक साँस बदलती है ज़र को पीतल में
न जाने हश्र में क्या दाम दे सुनार मेरा.
.
किसी नज़र से उतरते ही मर गया था मैं
जिसे समझते हो तुम जिस्म है मज़ार मेरा.
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 64

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar 3 hours ago

धन्यवाद आ. बृजेश जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' 4 hours ago

अद्भुत है आदरणीय नीलेश जी....और मतला ही मैंने कई बार पढ़ा। हरेक शेर बेमिसाल। आपका धन्यवाद इतनी खूबसूरत ग़ज़ल के लिए...

Comment by Nilesh Shevgaonkar on Thursday

धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on Thursday

धन्यवाद आ. सौरभ सर,

आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.
ग़ज़ल तक आने, पढने और हौसला-अफज़ाई का धन्यवाद 
आभार 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on Wednesday

आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on Wednesday

आदरणीय नीलेश जी, हार्दिक बधाई. 

प्रस्तुत अश’आर के लिए तहेदिल से बधाई. 

मैं उस से बच नहीं पाता हूँ गो ख़बर है मुझे   
करे है मेरी अना रात दिन शिकार मेरा. 


और,
हर एक साँस बदलती है ज़र को पीतल में
न जाने हश्र में क्या दाम दे सुनार मेरा.

जय-जय 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on Wednesday

धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on Wednesday

धन्यवाद आ. गिरिराज जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on Wednesday

आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on Wednesday

आदरणीय नीलेश भाई , हमेशा की तरह आपकी ग़ज़ल बेहतरीन लगी , हर एक शेर  उम्दा हुए हैं 

पड़े जो बेंत मुझे उस की, दौड़ पड़ता हूँ
मैं जैसे हूँ कोई घोड़ा ये मन सवार मेरा.    -- ये शेर मेरे लिए बहुत ख़ास  है  बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
42 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय बृजेश कुमार जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं आपके कथन का पूर्ण समर्थन करता हूँ आदरणीय तिलक कपूर जी। आपकी टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. दयाराम मेठानी जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. बृजेश कुमार जी.५ वें शेर पर स्पष्टीकरण नीचे टिप्पणी में देने का प्रयास किया है. आशा है…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी से ग़ज़ल कहने का उत्साह बढ़ जाता है.तेरे प्यार में पर आ. समर…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह-वह और वाह भाई दिनेश जी....बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है बधाई.... "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service