For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उगता सूरज -धुंध में

उगता सूरज -धुंध में
-----------------
कर्म फल -गीता
क्रिया -प्रतिक्रिया
न्यूटन के नियम
आर्किमिडीज के सिद्धांत
पढ़ते-डूबते-उतराते
हवा में कलाबाजियां खाते
नैनो टेक्नोलोजी में
खोजता था -नौ ग्रह से आगे
नए ग्रह की खोज में जहां
हम अपने वर्चस्व को
अपने मूल को -बीज को
सांस्कृतिक धरोहर को
किसी कोष में रख
बचा लेंगे सब -क्योंकि
यहाँ तो उथल -पुथल है
उहापोह है ...
सब कुछ बदल डालने की
होड़ है -कुरीतियाँ कह
अपनी प्यारी संस्कृति और नीतियों की
चीथड़े कर डालने की जोड़ -तोड़ है
बंधन खत्म कर
उच्छ्रिंख्ल होने की
लालसा बढ़ी है पश्चिम को देख
पूरब भूल गया -उगता सूरज
धुंध में खोता जा रहा है
कौन सा नियम है ?
क्या परिवर्तन है ?
सब कुछ तो बंधा है गोल-गोल है
अणु -परमाणु -तत्व
हवा -पानी -बूँदें
सूरज चंदा तारे
अपनी परिधि अपनी सीमा
जब टूटती है -हाहाकार
सब बेकार !
आँखों से अश्रु छलक पड़े
अब घर में वो अकेला बचा था
सोच-व्याकुलता-अकुलाहट
माँ-बाप भगवान को प्यारे
भाई-बहन दुनिया से न्यारे
चिड़ियों से स्वतंत्र हो
उड़ चले थे ...............
फिर उसे रोटियाँ
भूख-बेरोजगारी
मुर्दे और गिद्ध
सपने में दिखने लगते
और सपने चकनाचूर
भूख-परिवर्तन -प्रेम
इज्जत -आबरू
धर्म -कानून-अंध विश्वास
सब जंजीरों में जकड़े
उसे खाए जा रहे थे .....
-------------------------------
३.०२-३.४५ पूर्वाह्न
कुल्लू यच पी १३.०२.२०१२

Views: 1222

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 20, 2012 at 12:22am

प्रिय राज जी आभार आप का ..ये हमारे युवाओं की उहापोह की स्थिति और दर्द झेलने पर रचना आप को भायी सुन ख़ुशी हुयी ..

जय श्री राधे 
भ्रमर 5
Comment by Raj Tomar on July 19, 2012 at 9:33pm
आदरणीय भ्रमर जी, एक खूबसूरत रचना के लिए हार्दिक बधाई. :)
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 16, 2012 at 10:34pm

 

आदरणीय प्रदीप जी अभिवादन और प्रोत्साहन हेतु आभार ..लग रहा ही की अब आप शीघ्र स्वास्थ्य लाभ कर मिलते रहेंगे ..कुशल समाचार दीजियेगा ..

पुराने घर से चन्द्रमा जी भी याद ...(आदरणीय प्रदीप भैया का कोई समाचार नहीं मिल रहा है )
भ्रमर ५ 

 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 16, 2012 at 11:20am
आदरणीय भ्रमर जी, 
sadar अभिवादन 
बधाई. shreshth rachna हेतु.
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 7:05pm

आदरणीय उमाशंकर मिश्र जी रचना आप के मन को छू सकी और इसमें सन्निहित भाव कुछ उद्वेलित करने को बन पड़े सुन ख़ुशी हुयी लिखना सार्थक रहा  ..आभार मित्र  ..भ्रमर५ 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 7:03pm

आदरणीय अविनाश जी बहुत  ख़ुशी हुयी ये सुन की रचना कुछ सटीक भाव व्यक्त कर सकी आप की बधाई सर आँखों पर ..आभार ..भ्रमर५ 

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 10, 2012 at 8:42pm

क्या परिवर्तन है ?
सब कुछ तो बंधा है गोल-गोल है
अणु -परमाणु -तत्व
हवा -पानी -बूँदें
सूरज चंदा तारे
अपनी परिधि अपनी सीमा
जब टूटती है -हाहाकार
सब बेकार ! .....प्रत्येक लाईन अयन्त गहरी है अपने आप में मंथन करने को उद्वेलित करती

बहुत बहुत बधाई

Comment by AVINASH S BAGDE on July 10, 2012 at 7:34pm

लालसा बढ़ी है पश्चिम को देख
पूरब भूल गया -उगता सूरज
धुंध में खोता जा रहा है
कौन सा नियम है ?
क्या परिवर्तन है ?
सब कुछ तो बंधा है गोल-गोल है...sateek.

आदरणीय सुरेन्द्र जी,

महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना  चुने जाने पर  बधाई|

 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 8, 2012 at 8:35pm

आदरणीया दीप्ति शर्मा जी अभिवादन  और आभार ...रचना आप के मन को छू सकी और प्रोत्साहन मिला आप से मन अभिभूत हुआ --भ्रमर ५ 

Comment by deepti sharma on July 8, 2012 at 7:12pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी,

महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना  चुने जाने पर आपको बहुत बहुत बधाई|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
9 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service