संगीत की विद्यार्थी हूँ ...संगीत से जुड़े कई शब्द मुझे जीवन के साथ चलते दिखते हैं | जो लोग इन शब्दों के विशेषता से अनभिज्ञ हैं उनके लिए कुछ बताना चाहती हूँ ..आशा करती हूँ इस सक्षिप्त व्याख्या से गीत समझने में आसानी होगी
------किसी भी राग में षडज(स ) और पंचम (प )स्वर अनिवार्य हैं जबकि रे,ग,म ,ध नी को वर्जित कर नए नए रागों की रचना की जाती
........ वादी-संवादी राग के सबसे महत्त्वपूर्ण स्वर होते हैं
-----विवादी स्वर राग में प्रयुक्त नहीं होता पर कभी-कभी बहुत कुशलता से किया गया इसका अल्प प्रयोग राग में चार चाँद लगा देता है
-----वर्जित स्वर राग में कभी प्रयोग में नहीं लाये जाते (हर राग में विवादी और वर्जित स्वर भिन्न होते हैं )
.......लय गीत का एक अभिन्न अंग है सुन्दर स्वर में गाया गया गीत भी यदि ताल में नहीं है तो कानो को अच्छा नहीं प्रतीत होता
बंसी की धुन सा छाता है समय
सुनो, ना सुनो पर गाता है समय
मन्द्र,मध्य और तार सुरों का संगम हो
सुख-दुःख से अनिवार्य षडज और पंचम दो
वादी-संवादी संग अल्प विवादी को
बुनो गीत में तो भाता है समय
आरोही-अवरोही का उत्थान -पतन
लेकर बढ़ता करता सतत मनन-चिंतन
मधुर बनाता जाता हर इक सुर लेकिन
वर्जित से घबरा जाता है समय
काबू में जब रहे दशाओं की उँगली
सधी चाल में तब बजती जीवन डफली
बिखरे गति द्रुत,मध्य,विलंबित लय की गर
बंजारों सा हो जाता है समय
Comment
आदरेया सीमा जी
सादर, बहुत सुन्दर गीत लिखा है आपने,यह बहुत ही उत्तम बात लगी कि आपने पहले संगीत कि कुछ बारीकियों कि ब्रीफ में जानकारी दी. गीत पर सादर बधाई स्वीकारें.
thanks by heart dr, ajay khare
आप को गीत में गुनगुनाहट मिली तो तो गीत को गीत कहना सफल हुआ सौरभ जी ........
इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया संदीप जी
धन्यवाद आदरणीय प्रदीप जी
beutiful rachana keep it up
गुन-गुन करते रहे सीमाजी, देर तक ... . और अभी कुछ नहीं.. . बस बधाई.
षडज, ऋषभ, गाञ्धार, मध्यम, पंचम, धैवत संग निषाद,
पढ़ कर गीत सुरीला इतना मेरे मन से मिटा विषाद,
अत्यंत ही सुन्दर एवं अनुपम रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया..!
सुन्दर भाव्
सुन्दर रचना
मधुर गीत
सजते रहना
बधाई. सादर
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