For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 27 (Now closed with 503 Replies)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर वन्दे |

ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 27 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | पिछले 26 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने 26 विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है | जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है |

इस आयोजन के अंतर्गत कोई एक विषय या एक शब्द के ऊपर रचनाकारों को अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करना होता है | इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है:-

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक - 27
 

विषय -  संकल्प 

आयोजन की अवधि-  6 जनवरी-13 दिन रविवार से 8 जनवरी-13 दिन मंगलवार तक

नया वर्ष विगत वर्ष की कोख से ही पैदा होता है । उसी के गुण-धर्म लेता है । यह अवश्य है कि हम अपने अनुभवों के लिहाज से कुछ और समृद्ध होते हैं। अपनी उपलब्धियों को जी सकने के क्रम में हम और परिपक्व हुए होते हैं। अपनी गलतियों को समझने और परिष्कार करने के क्रम में हम थोड़ा और संयत हुए होते हैं । जहाँ व्यक्तिगत उपलब्धियों से व्यक्तिगत लाभ होता है, वहीं सामुदायिक और सामाजिक उपलब्धियों का आकाश अत्यंत विस्तृत होता हुआ जगती को लाभान्वित करता है । ठीक उसी तरह, गलतियाँ वैयक्तिक होती हैं तो उनसे एक व्यक्ति या उस परिवार के कुछ सदस्य प्रभावित होते हैं, लेकिन सामुदायिक और सामाजिक लिहाज से हुई गलतियों का ख़ामियाज़ा मात्र वर्ग, समुदाय या समाज ही नहीं, कई-कई बार सम्पूर्ण राष्ट्र भोगता है ।

क्यों न हम अपने औचित्यों, अपनी उपलब्धियों तथा अपनी भूलों के संदर्भ में संल्कल्प लें ! जो हो गया उसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं. परन्तु, जो कुछ सार्थक बचा हुआ है उसे अक्षुण्ण रखने का संकल्प ! यह संकल्प व्यक्तिगत स्तर पर, सामाजिक स्तर पर अथवा राष्ट्रीय स्तर पर लिया जा सकता है ।

तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दे डालें अपने"संकल्प" को एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति | बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए | महा-उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है | साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं ।

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक

शास्त्रीय-छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)

अति आवश्यक सूचना : OBO लाइव महा उत्सव अंक- 27 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ ही दे सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा | यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 6 जनवरी-13 दिन रविवार लगते ही खोल दिया जायेगा ) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो  www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


महा उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय (Saurabh Pandey)
(सदस्य प्रबंधन टीम)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 10711

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत खूब आदरणीय निगम साहब, बहुत ही सधी हुई रचना , दोनों सवैया एक प एक हैं , बधाई स्वीकार करें ।

वाह वाह वाह-
भाई अरुण निगम जी-
शुभकामनायें ||

अधिकार मिले अति भाग खिले, नहिं दम्भ दिखे प्रण आज करो ...जरुरी प्रण
करना  नहिं  शासन  ताकत से  ,  दिल पे दिल से बस राज करो .... वाह
कब  कौन  कहाँ  बिछड़े  बिसरे  , लघु कौन यहाँ ,गुरु कौन यहाँ ..... सत्य
उसकी  फुँकनी  सुर  साज  रही  , वरना  हर साज  मौन यहाँ || .... अति सुन्दर

प्रण  आज  करो  सब  एक  रहें  ,  नहिं  भेद रहे तुझमें मुझमें ....सुन्दर सन्देश 
उसके  शुभ  अंश  बँटे  सब में  , जल में  थल में  इसमें उसमें ..... बहुत ही बढिया
दिन  चार  मिले   कट तीन गये  ,  बस एक बचा बरबाद न हो .....निःशब्द
किस काम क जीवन हाय सखे, यदि जीवन में मधु स्वाद न हो || ..... सुन्दरता से परिपूर्ण

आदरणीय सर सम्पूर्ण प्राणी को सही सीख देते सुन्दर - सुन्दर सवैया हार्दिक बधाई स्वीकारें.

आदरणीय अरुण सर जी सादर प्रणाम
आपके छंद पढ़ कर तो डूब गए साहब
गज़ब का प्रवाह लिए  गजब का शब्द चयन है आपके छंदों में
प्रण में प्राण से फूंक दिए हैं आपने आपको बहुत बहुत बधाई सर जी

अधिकार मिले अति भाग खिले, नहिं दम्भ दिखे प्रण आज करो
करना  नहिं  शासन  ताकत से  ,  दिल पे दिल से बस राज करो

क्या प्रवाह है अरुण भाई जी 

दिन  चार  मिले   कट तीन गये  ,  बस एक बचा बरबाद न हो
किस काम क जीवन हाय सखे, यदि जीवन में मधु स्वाद न हो ||

वाह ! अरुण भाई जी ...

करना  नहिं  शासन  ताकत से  ,  दिल पे दिल से बस राज करो... क्या सुन्दर....

वाह! आदरणीय अरुण भईया... बहुत सुन्दर प्रवाहमयी सवैया प्रस्तुत की है आपने प्रदत्त विषय पर...

सादर बधाई स्वीकारें...

आदरणीय अरुण जी, दोनों ही दुर्मिल सवैया बेहद सशक्त बन पड़े हैं....खासकर ये अंश तो गज़ब का प्रभाव छोड़ गया

//दिन  चार  मिले   कट तीन गये  ,  बस एक बचा बरबाद न हो
किस काम क जीवन हाय सखे, यदि जीवन में मधु स्वाद न//

हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये

अति सुंदर छंद रचे प्रभुजी.............श्रेष्ठ कोटि के दुर्मिल सवैया छंदों के लिए साधुवाद स्वीकारें आदरणीय अरुण निगम जी ! सादर

आदरणीय मंच संचालक, सौरभ पाण्डेय जी, ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 27 वें अंक में अपनी रचना कुंडली में प्रस्तुत कर रहा हूँ , कृपया स्वीकृत करें.

विधा :- कुंडली उर्फ कुण्डलिया छन्द

(१)

मन वाणीं जब शुध्द हों, तब हों कर्म विशुद्ध।
पशुता के अवगुण हमें, कभी करें ना मुग्ध।।
कभी करें ना मुग्ध, आचरण हो अनुशासित।
दया प्रेम के संग, करें जन मन को हर्षित।।
करता सत्य हज़ार, यही संकल्प मनोमन।
आया नूतन वर्ष, शुध्द हों अब वाणीं मन।।

(२)

घटना पिछली सोचकर, बदलें कुछ परिवेश।
आने वाले दिनों में, कैसा हो निज देश ।।
कैसा हो निज देश, खाप ना आँख दिखाये।
शापित हो ना कोख, भ्रूणहत्या रुक जायें।।
सत्य यही संकल्प, देश की बदलो विधना।
मृत्यु दंड हो सजा, घटे ना दूजी घटना।।

- सत्यनारायण सिंह

१. नव वर्ष पर मन वाणी आचरण की शुद्धता और दया प्रेम का संकल्प लेने को प्रेरित करता सुन्दर कुण्डलिया छंद, हार्दिक बधाई 

२.नारी की स्थिति में सुधार की अपेक्षा करती दूसरी कुण्डलिया भी बहुत सार्थक है आदरणीय, हार्दिक बधाई 

सादर.

बहुत ही सुंदर एवं अर्थपूर्ण कुंडलिया हैं सत्यनारायण जी.... और अंत में जो सजा आपने निहित की है वह भी ज़रूरी है जिससे फिर कोई ऐसा दुष्कर्म करने का साहस न कर सके....

भाई सत्यनारायण जी, मंच के किसी आयोजन में संभवतः आपकी कोई पहली रचना देख रहा हूँ. ओबीओ के मंच पर आयोजित महा-उत्सव में आपका सादर स्वागतम् है.

आपकी दोनों कुण्डलिया भाव और कथ्य की दृष्टि से बहुत ही गठी हुई हैं. दोनों अपने लिहाज से सीधी बात भी करती हैं. यानि प्रस्तुतियाँ  आपके इन छंदों पर पहले भी प्रयास किये जाने की ताक़ीद करते हैं. विधा के लिहाज से इनमें अभी थोड़ी गुँजाइश है. उनके प्रति आश्वस्त हो लीजियेगा.

कुण्डलिया-छंद एक दोहा और एक रोला का सम्मिलन होते हैं. आप दोहा और रोला पर ओबीओ के छंद विधान समूह में प्रस्तुत लेख देखें, बहुत कुछ स्पष्टा होगा.

विश्वास है, ओबीओ के उद्येश्य ’सीखने-सिखाने’ को आप पूरी तरह से अनुमोदित करते हैं. 

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद प्रतिभा जी"
13 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धरती की बहुएं हवा, सागर इसका सेठ।सूरज ने बतला दिया, क्या होता है जेठ।।// जेठ को गजब रोचक ढंग से…"
17 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, उचित है। बहुत बढिया "
20 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे सिरजे आपने, करते जल गुणगान। चित्र हुआ है सार्थक, इनमें कई निदान।। सारे दोहे आपके, निश्चित…"
34 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धूप छांव में यूं भला, बहुत अधिक है फर्क। शिज़्जू भाई कर रहे, गर्मी में भी तर्क।। तृष्णा की गंभीरता,…"
58 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बहुत सुगढ़ दोहावली हुई है प्रदत्त चित्र पर। हार्दिक बधाई।"
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"मेघ, उमस, जल, दोपहर, सूरज, छाया, धूप। रक्ताले जी आपने, दोहे रचे अनूप।।  नए अर्थ में दोपहर,…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"काल करे बेहाल सा, व्याकुल नीर समीर।मोम रोम सबसे लिखी, इस गर्मी की पीर।। वन को काट उचाट मन, पांव…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"श्रम अपना भगवान है, जीवटता है ईश प्यास बुझाएँगे सदा, उठा गर्व से शीश// चित्र के आलोक में एक श्रमिक…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी।सार्थक सुंदर दोहावली की हार्दिक बधाई। छिपन छिपाई खेलता,सूूरज मेघों संग। गर्मी…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आभार लक्ष्मण भाई"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"रचना पर अपनी उपस्थिति और उपयोगी सुझाव देने के लिए अनेक आभार आदरणीय"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service