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मुहब्बत से सराबोर खूबसूरत गज़ल के लिये बधाई
तुम्हारी मुहब्बत हमारी मुहब्बत
जहाँ में सभी की है प्यारी मुहब्बत ।
मुसीबत के कितने पहाड़ इस पे टूटे
न ज़ुल्म-ओ-सितम से है हारी मुहब्बत ।
इसे रोकने को कई आए लेकिन
है आब-ए-रवाँ जैसी जारी मुहब्बत ।
इक आशिक़ ने इक रोज़ हम से कहा था
"ख़ुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत" ।
है जिस दिन से देखा वो नूरानी पैकर
नशे जैसी दिल पे है तारी मुहब्बत ।
पुरुष भूल जाता है अक्सर, परन्तू
नहीं भूल पाती है नारी मुहब्बत ।
उसे बे-ज़बानों का खूँ है बहाना
करेगा भला क्या शिकारी मुहब्बत ।
हैं सब तुझ पे शैदा, है क्या ख़ास तुझ में
ज़रा मुझ को ये तो बता री मुहब्बत !
कभी दिल में ’शमसी’ के आ के तो देखो
है इस में भरी ढेर सारी मुहब्बत ।
paanchwe sher se? achcha...... samajh gaya....... kuchh baat hai...... hmmmm...?
क्या कमाल की ग़ज़ल कही है, पानी की तरह बहती चली गई पूरी ग़ज़ल। बधाई
badee inayaat huzoor.
मोईन जी क्या रवानगी है बहुत खूब शेर कहे आपने !!
shukria abhinav ji.
bahut khubsoorat.. kya gazal kahi hai ...
dhanyawaad anita ji.
कभी दिल में ’शमसी’ के आ के तो देखो
है इस में भरी ढेर सारी मुहब्बत
शम्सी साहब ... आपके शेर कह रहे हैं की आका दिल भी मुहब्बत से लबरेज़ होगा .... बहुत ही कमाल के शेर है सारे ...
thank you Naswa ji. .
//तुम्हारी मुहब्बत हमारी मुहब्बत
जहाँ में सभी की है प्यारी मुहब्बत । //
सुन्दर और सादगी भरा मतला - बहुत खूब !
//इक आशिक़ ने इक रोज़ हम से कहा था
"ख़ुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत" ।//
गिरह का बेहतरीन नमूना !
//पुरुष भूल जाता है अक्सर, परन्तू
नहीं भूल पाती है नारी मुहब्बत ।//
ये शेअर भर्ती का है शम्सी जी, इसके बिना काम चल सकता था !
//कभी दिल में ’शमसी’ के आ के तो देखो
है इस में भरी ढेर सारी मुहब्बत । //
इस शेअर कि खुश-बयानी दिल को लुभा गई शम्सी जी !
इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद देता हूँ आपको !
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