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bahut bahut dhanyawad...aapse tarif milna bahut hi maayne rakhti hai...
bahut bahut dhanyawad.. Arvind ji...
बजाकर कटोरी वो नाज़ो अदा से
रसोई से हुमको पुकारी मोहब्बत I
वाह! क्या बात है.. बधाई
Bhasker ji...dhanyawad utsahwardhan karne ke liye...
वीरेन्द्र जी,
बहुत अच्छी कोशिश... बधाई आपको.
bahut bahut aabhar..Aacharyaji...aapke margdarshan ki atyanta aavshaykta hai muje... dhanyawad..
वीरेन्द्र भाई, बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल पेश की है आपने ! यूं तो हरेक शेअर अपने आप में मुकम्मिल और खूबसूरत है मगर इन शेअरों ने झूमने पर विवश कर दिया !
//नहीं वास्ता इसका मज़हब से कोई,
ऩफीसा की मोहन से यारी मोहब्बत I//
//वाह वाह वाह ! //
है बेफ़िक्र मदमस्त झोंका हवा का
वो सोलह बरस की कुँवारी मोहब्बत I
// तगज्जुल से लबरेज़ है ये शेअर - बेहतरीन ! //
बजाकर कटोरी वो नाज़ो अदा से
रसोई से हुमको पुकारी मोहब्बत I
//हाय हाय हाय - क्या अदा है, क्या चित्रण है इस शेअर में !//
Yograj ji...hausla afzai ke liye bahut bahut shukriya...
भाई इस शेर पर सब कुछ कुर्बान !! वाह वाह !!!
bahut bahut dhanyawad... Arun ji..
नहीं वास्ता इसका मज़हब से कोई,
ऩफीसा की मोहन से यारी मोहब्बत I
वाह साहब वाह , बहुत खूब ,
पर साथ मे यह कहना नहीं भूले ......
नहीं खेल बच्चों का चलना संभलके,
है तलवार तेज़ दोधारी मोहब्बत I
कटोरी बजाना तो वाकई दिल के अन्दर तक पहुच गया वाह ,
दाद कुबूल करे , बहुत बढ़िया
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