For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा-अंक 41 (Now Closed)

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 41वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का तरही मिसरा इस दौर के अजीमतरीन शायर जनाब बशीर बद्र साहब की एक ग़ज़ल से लिया गया है, पेश है मिसरा-ए-तरह...

 "इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग़ ले के खड़ा न हो"

इ/1/सी/1/मो/2/ड/1/पर/2      मे/1/रे/1/वा/2/स/1/ते/2      वो/1/च/1/रा/2/ग/1/ले/2     के/1/ख/1/ड़ा/2/न/1/हो

11212                      11212                  11212                    11212  

मुतफाइलुन                    मुतफाइलुन               मुतफाइलुन                    मुतफाइलुन

(बह्र: कामिल मुसम्मन सालिम  )

रदीफ़     :- न हो
काफिया :- आ (खड़ा, गया, उठा, हंसा आदि)
अब थोड़ी सी बात इस बह्र की कर लेते हैं | ओ बी ओ तरही मुशायरे के इतिहास में यह पहला मौक़ा होगा जब इस बह्र पर हम कोई तरही आयोजित कर रहे हैं | अभी तक इस बह्र को न चुनने के पीछे एक कारण यह भी था कि यह मंच अभी इतना परिपक्व नहीं था कि इस बह्र पर कलम आजमाइश हो सके | यह बह्र देखने में बहुत ही आसान दिखाई देती है पर निभाने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है | उच्चारण का एक बड़ा ऐब इस बह्र पर शेर कहने में दृष्टिगोचर हो सकता है जिसे ऐब-ए-शिकस्ते नारवा कहते हैं | आप ध्यान से देखिये कि तरही मिसरे की तकतीई करते समय मैंने इस बार हर रुक्न के बाद थोड़ा स्पेस दिया है | हर रुक्न एक नए लफ्ज़ से शुरू हो रहा है और किसी लफ्ज़ के मुकम्मल होने पर ख़त्म हो रहा है, ऐसा नहीं कि एक लफ्ज़ एक साथ दो दो अरकान में मौजूद हो | इससे शेर बेबह्र तो नहीं होता है पर मिसरों की गेयता में, लय में रुकावट आती है और इस बह्र में यह ऐब आसानी से घुसपैठ कर सकता है | 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 29 नवम्बर  दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 30 नवम्बर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक  अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल  आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी । 

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  29 नवम्बर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 16190

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जय हो, क्या बात है// जिसे नाज था, था गुरूर भी, कभी अपने ऊंचे मकान पर
वहीं धूल है लगी जालियां, कोई इसमें जैसे रहा न हो// बहुत बधाई।

आभार आपका।

यही रास्ता यही मोड़ है, यहीं प्यार ने की थी शायरी
'इसी मोड़ पर मेरे वास्ते, वो चिराग ले के खड़ा न हो'

किसी रोज वो किसी गैर के, कहीं सीने से वो लगा न हो
न दुखाए दिल न करे दगा, कभी इतना भी वो बुरा न हो ....हरदिल अर्ज! वाह! 

दिली दाद कुबूलिए शकील जी!

जिसे नाज था, था गुरूर भी, कभी अपने ऊंचे मकान पर
वहीं धूल है लगी जालियां, कोई इसमें जैसे रहा न हो..................खुबसूरत वाह बधाई बधाई

हर शे'र लाजवाब!! दिल से बधाई स्वीकार कीजिये आदरणीय शकील जी

तुझे चाहूं में दिलो जान से, मेरी सांस में तेरी सांस हो
है दुआ यही कभी भूल से, तेरे हक में मुझसे खता न हो..आदरणीय शकील जी ..बेहतरीन ग़ज़ल के इस शेर के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ..

आ. शकील साहब , क्या कहने खूबसूरत ग़ज़ल --

हर शेर लाजवाब पर इन शेरों पर ख़ास दाद -

तुझे चाहूं में दिलो जान से, मेरी सांस में तेरी सांस हो
है दुआ यही कभी भूल से, तेरे हक में मुझसे खता न हो

तुझे देखता है शकील यूं, कि नजर भी रहती है बेखबर
तुझे चूम लूं मेरी जान यूं, तेरे होंठ को भी पता न हो

 मुबारकबाद इस मासूमियत इस तमन्ना पर !!

क्या बात है आदरणीय शकील जी ...............बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने

क्या बात है इक इक अशआर चुन चुन के कहा है

इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए दिली दाद क़ुबूल करें

जय हो

ग़ज़ल तो उत्‍तम रही ही, गिरह खास, खता न  हो में आप हम्‍दो सना में पहँचे लगे तो आखिरी शेर की मुलायमियत गज़ब ढा रही है। 

//जिसे नाज था, था गुरूर भी, कभी अपने ऊंचे मकान पर
वहीं धूल है लगी जालियां, कोई इसमें जैसे रहा न हो// वाह बेहतरीन शे'र शकील भाई दिली दाद कुबूल करें

//है गुनाह गर कोई सिर मेरे, तेरे हाथ से मेरा कत्ल हो
कहीं तोड़ दे न तआल्लुक, है दुआ कि ऐसी सजा न हो// इसमे तकाबुले रदीफ़ है देख लेंगे

आदरणीय शकील जी, 

यही रास्ते यही मोड़ हैं, यहीं प्यार ने की थी शायरी
'इसी मोड़ पर मेरे वास्ते, वो चिराग ले के खड़ा न हो'...........वाह वाह 

जिसे नाज था, था गुरूर भी, कभी अपने ऊंचे मकान पर
वहीं धूल है लगी जालियां, कोई इसमें जैसे रहा न हो...............अर्श से फ़र्श तक का सफ़र एक बार में कह दिया वाह...

सादर.

शकील भाई बहुत खूब .....अच्छी ग़ज़ल हुई है ..यह शेर ख़ास तौर से पसंद आया 

तुझे चाहूं में दिलो जान से, मेरी सांस में तेरी सांस हो
है दुआ यही कभी भूल से, तेरे हक में मुझसे खता न हो

दिली दाद कबूल कीजिये

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शानदार हुई है ग़ज़ल। गिरह का शेर भी खूबसूरती से बंधा है। बधाई स्वीकार करें। अभी मोबाइल पर हूं। फिर…"
1 minute ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
2 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई गिरिराज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
6 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
8 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई गजेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा व सुझाव के लिए आभार।"
13 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, इस बार के आयोजन में प्रदत्त ’तरह’ कई अर्थों में विशिष्ट…"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई अजय जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
15 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई सौरभ जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आभार। आ. भाई तिलक राज…"
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई नीलेश जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार। सुझाव के अनुसार मूल गजल…"
24 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उत्साहवर्धक और विस्तृत मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए…"
31 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वो दवा के साथ ज़िक्र-ए-यार भी करते रहे चारा-गर मेरे मुझे बीमार भी करते रहे बेबसी देकर मुझे, मिस्मार…"
32 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service