For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक कोशिश - ग़ज़ल

(2212 2212)
********************

थे साथ मेरे जो कभी
मेरे नहीं थे वो कभी

कुछ दर्द कम तो हो मिरा, 
ये घाव सी डालो कभी

जी को ज़रा ख़ामोश कर,
इन आँसुओं को रोक भी

कबतक दुखों से काम लूँ?
कोई ख़ुशी भी दो कभी

मैं ही सदा पलटा करूँ?
तुम भी मुझे रोको कभी

जिनका नहीं कोई कहीं,
उनके लिए भी रो कभी

जो मैं सही हूँ, 'दाद' दे,
जो मैं ग़लत हूँ, टोक भी

माँ ही रखे उपवास क्या?
तुम भी रखो बेटो कभी!

हँसना मुझे भी आता है,
फ़ुर्सत मगर तो हो कभी

बस ख़ार बोते मत रहो,
कुछ फूल भी बो दो कभी

ऐ 'ज़ैफ़' तुमको क्या हुआ?
ख़ामोश हो, बोलो कभी!

***
(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 521

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Zaif on April 10, 2014 at 3:01pm
आप सभी आदरणीय मित्रों को बहुत सा धन्यवाद।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 7, 2014 at 11:52pm

पटल पर आपके माध्यम से एक बहुत ही सार्थक सफल और अनुकरणीय ग़ज़ल आयी है, ज़ैफ़भाई. कई शेर कमाल हुए हैं.

और ये शेर तो कमाल हुए हैं -

जिनका नहीं कोई कहीं,
उनके लिए भी रो कभी

जो मैं सही हूँ, 'दाद' दे,
जो मैं ग़लत हूँ, टोक भी

माँ ही रखे उपवास क्या?
तुम भी रखो बेटो कभी!

क्या बात है.. !

ऐसी ग़ज़ल के मतले के उला में आया शिकस्ते नारवा का ऐब खल रहा है.

बहरहाल दिल से दाद कुबूल कीजिये.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2014 at 1:26pm

यमित जी ग़ज़ल पर आपके इस शानदार प्रयास के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 1, 2014 at 10:47am

भाई यमित इस बेहतरी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 1, 2014 at 10:01am

प्रिय यमित , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

Comment by vandana on April 1, 2014 at 6:13am

बढ़िया भावप्रवण ग़ज़ल है आदरणीय 

इन आँसुओं को रोक भी

रदीफ़ को यूँ तोड़ा भी जा सकता है ? .... यह मेरे लिए नई जानकारी होगी या यूँ कहूँ कि मेरा इस ओर कभी ध्यान ही नहीं गया 

Comment by annapurna bajpai on March 31, 2014 at 11:27pm

गजल के शिल्प के  विषय मे मुझे खास जानकारी नहीं है किन्तु आपकी छोटी  बह्र की गजल अच्छी लगी । 

Comment by भुवन निस्तेज on March 31, 2014 at 8:11am

मैं ही सदा पलटा करूँ? 
तुम भी मुझे रोको कभी

great................

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 30, 2014 at 11:53am

bahut badhiya 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
yesterday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service