For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- मक़बूलियत अदीब की है उनके काम से

221 2121 1221 212

लिखता हूँ हर्फ़-हर्फ़ मैं जो तेरे नाम से

जज़्बात, दर्द, अश्क़ के हर एहतमाम से

 

क्या हो गया जो कोई उन्हें जानता नहीं

मक़बूलियत अदीब की है उनके काम से

 

मिल ही गया मुकाम उसे आखिरश कहीं

बेजा भटक रहा था मुसाफिर जो शाम से

 

शाइस्तगी न बज़्म में थी कोई मस्लहत

टकरा रहे थे लोग जहाँ जाम, जाम से

 

गुरबत बिकी थी लाख टके में मगर “शकूर”

गुरबत फ़रोश जी न सका एहतराम से

 

(एहतमाम- इंतज़ाम,  मक़बूलियत- प्रसिद्धि, अदीब– साहित्यकार,

मस्लहत- बनाव बिगाड़ सोच के कोई काम करना, फ़रोश-बेचनेवाला)

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 6:17am
रचना को समय देने के लिए रचना की सराहना के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया
Comment by khursheed khairadi on December 31, 2014 at 11:54am

क्या हो गया जो कोई उन्हें जानता नहीं

मक़बूलियत अदीब की है उनके काम से

 

मिल ही गया मुकाम उसे आखिरश कहीं

बेजा भटक रहा था मुसाफिर जो शाम से

आदरणीय  शिज्जू सर , सभी अशहार लाज़वाब हुये हैं |तमाम ग़ज़ल खूबसूरत है |सादर अभिनन्दन 

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 31, 2014 at 9:55am
आदरणीय क्या कहने को मेरे पास शब्दो की कमी है वाह ! उम्दा!
Comment by Hari Prakash Dubey on December 30, 2014 at 10:54pm

शाइस्तगी न बज़्म में थी कोई मस्लहत

टकरा रहे थे लोग जहाँ जाम, जाम से..... बहुत खूब शिज्जू सर, हार्दिक बधाई !

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 30, 2014 at 8:10pm

गुरबत बिकी थी लाख टके में मगर “शकूर”

गुरबत फ़रोश जी न सका एहतराम से

 शिज्जू भाई - बेहतरीन  i शब्दातीत i

Comment by Anurag Prateek on December 30, 2014 at 7:42pm

शिज्जु भाई जी, इस बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल पर ढेर सारी बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 7:01pm

आदरणीय   शिज्जु भाई जी, इस बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल पर ढेर सारी बधाई स्वीकार करे, पाँचों अशआर क़माल है ... सादर 

Comment by दिनेश कुमार on December 30, 2014 at 5:18pm
क्या बात है!! शकूर साहब,,,वाह वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 30, 2014 at 11:56am

वाह वा ! क्या रवाँ , बेमिसाल गज़ल हुई है , आदरनीय शिज्जु भाई , सभी अशआर एक से एक हैं , जैसे पाँच नगीने । हार्दिक बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 minute ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 minutes ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service