For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(१ )

क्रोध बड़ा उसका जहरीला

 मुखड़ा होता नीला पीला

छेड़ूँ तो दिखलाता दर्प

क्या सखि  साजन

ना सखि सर्प    

(२ )

झूम झूम कर मुझे रिझाता  

अपनी ताकत सदा दिखाता  

प्यार करूँ तो बनता साथी

क्या सखि साजन

ना सखि हाथी  

(३ )

हाय मूढ़ की अजब  कहानी  

काटे तो माँगू ना पानी  

क्रोघ करे तो भागे पिच्छू 

क्या सखि साजन

ना सखि बिच्छू   

(४ )

हर दम पानी पीता रहता

एक जगह पर बैठा रहता

गर्दन छोटी है पेट बड़ा

क्या सखि साजन

ना सखि घड़ा

(५)

सब गुण उसके हैं अनमोल

लगता कितना गोलमटोल

चाहे उसको दिल से दद्दू

क्या सखि साजन

ना सखि कद्दू 

(६ )

पिद्दी होकर ताब दिखाता 

फूँक मारते ही उड़ जाता 

पँहुचे वहीँ जहाँ हो सापड़

क्या सखि साजन 

ना सखि पापड़ 

--------

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 8, 2015 at 10:35am

जी ,आ० सौरभ जी ये सापड हमने बहुत खाया साउथ में सापड़ विद पापड़ ---:))))

प्रस्तुति पर उपस्थिति  के लिए आभार . 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 1:05am

आपने तो सापड़म् की याद दिला दी आदरणीया राजेश कुमारीजी ! .. तईर-सादम .. फुल्ल सापड़म !! :-))

Comment by Sarita Bhatia on June 29, 2015 at 7:57pm

वाह दीदी कमाल किया बहुत बढ़िया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2015 at 7:17pm

आ० श्री सुनील जी ,आपकी प्रतिक्रिया से हर्षित हूँ आपको प्रस्तुति रोचक लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ ,दिल से आभार आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2015 at 7:16pm

आ० गिरिराज जी ,कहमुकरिया आपको पसंद आई दिल से आभार आपका |

Comment by shree suneel on June 28, 2015 at 6:38pm
कहमुकरियों का भी अपना जादू है आदरणीया. मज़ा आया पढ़कर. बधाई आपको इन कहमुकरियों के लिए.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2015 at 2:06pm

बहुत सुन्दर , आदरणीया , बधाई आपको , कह मुकरियों के लिये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2015 at 9:52am

मिथिलेश भैया ,आपको ये कहमुकरियां  पसंद आई दिल से बहुत- बहुत आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 28, 2015 at 4:38am

हा हा हा 

बढ़िया कह्मुकरिया दीदी 

दद्दू -कद्दू मस्त हुआ है 

बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 26, 2015 at 9:11pm

बहुत- बहुत शुक्रिया कृष्ण मिश्र जी आपको ये कह्मुकरिया आनंदित कर पाई मेरा लिखना सार्थक हुआ |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service