For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पास क्या दूर भी नहीं कोई (इमरान खान)

आज किस तरह ज़िन्दगी खोई,

पास क्या दूर भी नहीं कोई.

एक तस्वीर दिल पे है चस्पा,

रूह जिसको लिपट-लिपट रोई.

रात भर बेकली रही मुझ पर,

और दुनिया सुकून से सोई.

फूल आंगन में अब न तुम ढूंढो,

फस्ल काँटों भरी अगर बोई.

वक़्त अपना कुछ इस तरह बीता,

हमनशीं हो गई गज़लगोई.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on August 10, 2015 at 1:34pm

आदरणीय इमरान जी अच्‍छी ग़ज़ल के लिये दाद कुबूल करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 9, 2015 at 1:20pm

आदरणीय इमरान भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , सभी अश आर बहुत सुन्दर हुये हैं , हार्दिक बधाइयाँ आपको ।

Comment by Samar kabeer on August 8, 2015 at 11:26pm
जनाब इमरान ख़ान साहिब ,आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही है आपने ,मुबारकबाद क़ुबूल करें,दूसरे शैर के ऊला मिसरे में 'चस्पा' को "चस्पाँ" कर लें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 6, 2015 at 9:43pm

आदरणीय इमरान जी शानदार ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद हाज़िर है-

आज किस तरह ज़िन्दगी खोई,

पास क्या दूर भी नहीं कोई...............बढ़िया मतला हुआ है 

एक तस्वीर दिल पे है चस्पा,

रूह जिसको लिपट-लिपट रोई......... वाह वाह ...शानदार शेर 

रात भर बेकली रही मुझ पर,

और दुनिया सुकून से सोई....... बेहतरीन शेर..... दाद ही दाद 

फूल आंगन में अब न तुम ढूंढो,

फसल काँटों भरी अगर बोई...........वाह वाह 

वक़्त अपना कुछ इस तरह बीता,

हमनशीं हो गई गज़लगोई.............. बहुत सुन्दर 

इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by Harash Mahajan on August 6, 2015 at 7:35pm

आ० इमरान खान  जी

आज किस तरह ज़िन्दगी खोई,

पास क्या दूर भी नहीं कोई.....वाह बेहद उम्दा !!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on August 6, 2015 at 7:24pm

एक तस्वीर दिल पे है चस्पा,

रूह जिसको लिपट-लिपट रोई..................वाह वाह!

बहुत सुन्दर गज़ल बधाई आदरणीय!

Comment by narendrasinh chauhan on August 6, 2015 at 6:17pm

खूब सुन्दर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service