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संवाद शैली में रचित गूढ़ संदेश देती इस प्रभावशाली कथा के लिए आपको दिल से मुबारकबाद आदरणीय उपमा शर्मा जी । आयोजन में पहली बार भागीदारी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद व हार्दिक स्वागत । सादर
बधाई उपमा जी...
आदरणीय उपमा शर्मा जी,हार्दिक बधाई!बहुत सुन्दर लघुकथा !
जीवन के हर पड़ाव पर परिभाषाओं का बदलना तो प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे आपने सुन्दर शब्दों का जामा पहनाया है आ. उपमा जी । दिली बधाई स्वीकार करें\
हर चीज तो खरीदी जाती है आजकल ...लेकिन खेल के लिए किसी बच्चे की इच्छा को खरीदना ..एक अलग ही विषय पर कलम चली है आपकी प्रदत्त विषय पर अच्छी लघु कथा ..हार्दिक बधाई उपमा जी |
आ. उपमा शर्मा जी, बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
आदरणीया उपमा शर्मा जी, किसी बीमार बच्चे का अपने बच्चे के साथ जबरदस्ती खिलवाना अजीब सा लग रहा है बीमार बच्चे से तो अपने बच्चे को दूर रखा जाता है। संवाद शैली में लिखी गई लघुकथा में दो से ज्यादा व्यक्ति आने पर उनसे अलग जो भी आए। 'वो कौन हैं' स्पष्ट होना चाहिए नहीं तो लघुकथा उलझ जाती है।
आदरणीया उपमाजी, मुझे प्रियदर्शिनी पार्क, साउथ मुम्बई की वो आयाएँ और बच्चे याद आगये जो धन्ना-सेठों के बच्चों के पीछे-पीछे अपनी गृहस्थी और वेतन को बँधा हुआ देखते हैं. शाम टहल करते हैं.
एक सामान्य तथ्य का विशिष्ट प्रस्तुतीकरण ! हार्दिक बधाई..
त्याग (लघु कथा)
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एक घन्टे तक इंतजार के बाद रामदीन जी ने बाहर से आये मेहमान से कहाँ “क्षमा करे मै पूजा पाठ में व्यस्त था” | मेहमान ने कहा मै तो 4-5 भिखारियों को 5-5 रुपये भीख में दे देता हूँ ये भी धर्म ही है | पूजा पाठ तो स्वाध्याय है धर्म नहीं | रामदीन जी – एक लोटे में से 2-4 बूँदें दे देना कोई दान नहीं होता | वारेन बफेट हर 5 वर्ष में आपनी आधी पूँजी दान कर देते है फिर भी खरफपति अमीर है | अरे साहब आखर फिर दान किसे कहते है ?
इतने में रामदीन की बिटियाँ बीच में बोली – राजा शिवी ने अपना मॉस काट कर दान कर दिया था | कर्ण ने अपने बहुमूल्य कुंडल कवच दान कर दिए था, एकलव्य ने अंगूठा दक्षिणा में दे दिया था अर्थात ऐसा त्याग जिससे आप अर्थहीन या शक्तिहीन होने तक सर्वस्व न्योछावर करने को तत्पर रहे, और जिसे देकर भी आप को कोई मलाल न हो, वही असल दान है | बिना त्याग व समर्पण की भावना के कैसा दान ? बिटियाँ के पिता रामदीन और मेहमान दोनों बिटियाँ की बात सुन सोचते रह गए |
(मौलिक व अप्रकाशित)
लघु कथा पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय जी
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