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मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका
इसमें कोई संदेह नहीं आजकी शिक्षित पीढ़ी नकेवल अधिक मुखर है, बल्कि सत्यासत्य की परख के मामले में अधिक सटीक है. पुरुष अहंमन्यता को आईना दिखाती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया शशिजी.
माँ के प्रति सहानुभूति के बजाय उलटे उसे ही डांटना सहानुभूति रखने वाली बेटियाँ का सहन करती है | भावनात्मक रूप से सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आ. शशि बंसल जी |
आदरणीय शशि बंसल जी, साधारण सी दिखने वाली घटना का बहुत ही गहन निरीक्षण करती प्रतीत हो रही आपकी इस सार्थक प्रस्तुति हेतु आपको असीम शुभकामनाएं। आदरणीय योगराज जी के कथन की गंभीरता को समझिए, आपकी कथाओं में और निखार आएगा । सादर
सुन्दर लघुकथा आ. शशि बंसल जी बधाई। सुन्दर प्रभावशाली पंच ।
सचमुच आप जी लघुकथा में, ये जहरीला धुआँ माँ बरसों से निगल रही हैं उसका क्या ? क्या कहूँ इस के बारे
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