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अच्छा उत्तर दिया दहेज़ के लालचीयों को, ऐसे को ऐसे प्रत्युत्तर ही मिलने चाहिये| इस सन्देशप्रद लघु'कथा हेतु बधाई स्वीकार करें आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर|
बहुत खूब जवाब दुल्हन का साहस भरा कदम, अभी कुछ नहीं बिगड़ा । सुन्दर कथा के लिए हार्दिक बधाई आ. तेजवीर जी
आदरणीय तेज़वीरजी, आपकी इस लघुकथा के तेवरने मुग्ध कर दिया. कन्या (लड़की) का सकारात्मक दृष्टिकोण हर तरह से श्लाघनीय एवं सम्मानीय है. इस लघुकथा के तथ्य का भौतिक स्वरूप अब समाज में कई जगह दिखने भी लगा है. इस लिए यह कथा और प्रभावित करती है. जबतक ऐसे कठोर निर्णय लिये नहीं जायेंगे कई सामाजिक विसंगतियाँ यथास्वरूप रहेंगीं.
हार्दिक शुभकामनाए/‘ स्वीकारे आदरणीय
शुभ-शुभ
Janki wahie जी
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
हार्दिक आभार आदरणीय जानकी जी!
आरक्षण के सबसे मूल बिदु को स्पर्श करती सार्थक लघुकथा.
आरक्षण की राजनीति पर कटाक्ष करती हुई अच्छी लघु कथा बहुत- बहुत बधाई मनन कुमार जी
बहुत सही... नेताओं के भुलावे के अतिरिक्त कुछ नहीं है आरक्षण भी.... जरुरतमंदों तक पहुँच नही पाए ऐसे लाभ से क्या लाभ... जटिल प्रश्न उठाया है आपने ... हार्दिक शुभकामनाएँ... आ० मनन कुमार जी..
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