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आदरणीया श्रद्धा जी इस सशक्त प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश जी.
सराहनीय प्रस्तुति !! इन्ही प्रत्युत्तरों ने न जाने कितने सवाल खड़े कर दिए हैं जिनका जवाब अभी तक ढूंढा जाना शेष है | हार्दिक बधाई आ. श्रद्धा जी | सादर
rरात और मौत को प्रतीक बनाकर एक सफल रचना गढ़ी है आपने आदरणीया श्रद्धा जी बधाई आपको
मृत्यु और रात्रि के प्रतीकों द्वारा धर्मांध लोगों के अंधेपन का जो मार्मिक चित्रण आपने किया है वो निःसंदेह ही सराहनीय है आदरणीया श्रद्धा जी| एक दूसरे को प्रत्युत्तर देते देते एक दिन असमर्थ हो जायेंगे| बधाई आपको इस गूढ़ रचना के सृजन हेतु
सुन्दरता से व्यक्त भाव व समसामयिक विषय, बधाई स्वीकार करें आ. श्रध्धा जी
अदरणीया श्रद्धा थवैतजी, आपकी प्रस्तुति ने आपकी रचनाधर्मिता के प्रति आश्वस्त किया है. हम आपसे बहुत सी उम्मीदें पाले बैठे हैं.
आपका इस मंच पर हार्दिक स्वागत है.
सादर
बहुत बहुत धन्यवाद जानकी जी
हार्दिक बधाई आदरणीय श्रद्धा जी!बहुत ही सही प्रत्युत्तर की परिभाषा गढी है!
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