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शानदार व सघन भाव समोए इस गूढ़ रचना के लिए आपको असीम शुभकामनाएं आदरणीय श्रद्धा जी ।
वाह, क्या खूब कथा है आ. श्रध्धा जी। संकल्प से ही जीवन में रंग भरे जा सकते हैं, भटकाने को विकल्प तो बहुत से होते हैं।
संकल्प (लघुकथा)
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आखिर डॉक्टरों ने नन्हे कबीर के ऑपरेशन को पूरी तरह सफल और उसे पूरी तरह स्वस्थ घोषित कर दिया I बच्चे के माँ-बाप ऊपर वाले का लाख लाख शुक्रिया अदा कर रहे थे I कुछ ही हफ्ते जिस नन्हे से बेटे के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी उसे तंदरुस्त और मुस्कुराता हुआ देख माँ बाप की आँखों में रह रह कर सजल हो रहीं थीं I वे बच्चे के दिल के बेहद जोखिम भरे ऑपरेशन की जिम्मेवारी उठाने वाले डॉक्टर को बार बार दुयाएँ दे रहे थे I एक तो दुनिया भर में ऐसे ऑपरेशन बहुत ही कम हुए थे, दूसरे वह रोगी बालक उस पडोसी देश का था जो इस देश को अपना शत्रु समझता था, अत: इस ऑपरेशन पर पूरे मीडिया जगत की नज़र थी I सफल ऑपरेशन की सूचना पाते ही मीडिया कर्मियों का हुजूम अस्पताल के अहाते में आ जुड़ा जहाँ बच्चे के माँ-बाप और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों का दल भी मौजूद था I
"डॉक्टर साहिब ! इस बच्चे का सफल ऑपरेशन करने के बाद कैसा महसूस हो रहा है?" एक पत्रकार ने प्रश्न किया I
"ऐसा लग रहा है कि हमने जो मानवता की सेवा का संकल्प लिया था, उसे पूरा करने की दिशा में एक कदम और बढ़ा लिया I"
"आप बताएं, अपने बच्चे को हँसता खेलता देख कैसा लग रहा है I" एक महिला पत्रकार ने बच्चे की माँ से पूछा I
"हमारे यहाँ इस बीमारी का कोई इलाज नही था, दुसरे मुल्कों में इलाज का खर्चा इतना ज्यादा था कि हम अपने आपको बेचकर भी ......I इस धरती पर मेरे बच्चे को न सिर्फ नई जिंदगी मिली, बल्कि हमारी एक अपील पर यहाँ के लोगों ने दिल खोल कर हमारी मदद की I मैंने पढ़ा था कि फ़रिश्ते आसमान में रहते हैं, लेकिन मैं अपने देश में जाकर बताऊंगी कि अगर असली फ़रिश्ते देखने हैं तो हिंदुस्तान जाओ I" भावुक माँ की ऑंखें एक बार फिर से सजल हो उठी थीं I
"आप इस बच्चे के पिता हैं, आप कुछ कहना चाहेंगे ?"
उत्तर की प्रतीक्षा करती भीड़ और पास खड़े डॉक्टर की तरफ कृतज्ञ दृष्टि से हुए उसने उत्तर दिया:
"मैं इस धरती का बहुत बड़ा एहसान लेकर जा रहा हूँ जिसे चुकाना नामुमकिन है I लेकिन आज मैं ऊपर वाले को हाज़िर नाज़िर जान कर ये क़सम खाता हूँ कि जिंदगी में कभी भी हिंदुस्तान के खिलाफ किसी भी मुहिम या प्रचार का हिस्सा नहीं बनूँगा !"
(मौलिक और अप्रकाशित)
वाह , वाह , बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रदत्त विषय पर | आज के हालात में रचनाकारों से ऐसे ही लेखन की अपेक्षा है जिससे माहौल को सकारात्मक बनाया जा सके | बहुत बहुत बधाई आ योगराज सर इस रचना के लिए
आदरणीय सर, आपकी रचना पर कुछ भी टिप्पणी करूँ, इतना सामर्थ्य नहीं है| लेकिन यह रचना तीन-चार बार पढ़ ली, और कोशिश की है कि लेखन का अंदाज़, शैली, भाषा, संवाद, कथा आदि को आत्मसात कर सकूं| नमन आपको सर|
क्या कहूँ आपकी कथा पर सर कमेंट करने सामर्थ्य नहीं है मेरी... चार बार पढ़ कर भी लग रहा है एक बार फिर से पढ़ूँ... शीर्षक कथा को परिभाषित कर रहा है या फिर कथा शीर्षक को ... सादर नमन सर...
नए कलेवर में , बिलकुल चौंकाते हुए हम सबको , एक जमीनी हकीकत को सार्थक कथ्य के साथ रोपित कर लघुकथा के माध्यम से बहुत बड़ी बात कह दी है आपने। आपकी अपनी वही विशिष्ट शैली , बेहद उच्च कोटि की नए शिल्प लिए हमेशा की तरह ,फिर से एक अविश्वर्नीय कृति रचि है। अपने देश के लिए गर्व से ओत-प्रोत भाव का क्या खूब समायोजन किया है।
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