आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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जनाब सुशील सरना साहिब ,प्रदत्त विषय को सार्थक करती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
तमाशबीनों में कोई आदमी न मिला ।भीड़ की मानसिकता को दो शब्दों में चित्रित करने हेतु बधाई आदरणीय ।
आदरणीय पवन जैन साहिब प्रस्तुति पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
आदरणीय तस्दीक साहिब प्रस्तुति को आत्मीय स्नेह देने का आभार।
दिल को छू गई ये लघु कथा बहुत ही अच्छी लगी प्रदत्त विषय को पूर्णतः सार्थक करती प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई आ० सुशील सरना जी |
आदरणीया राजेश कुमारी जी प्रस्तुति में निहित भावों को स्वीकृति देती आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभार।
वाह आदरणीय ,आपकी पद्य रचनाओं में आपकी संवेदनशीलता को खूब देखा है ,पर शुरू में कविता की तरह लगती ये कथा अंत आते आते हिला गई , बधाई स्वीकार करें आदरणीय सुशील सरना जी
आदरणीया प्रतिभा पांडेय जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभार।
बहुत ही बढ़िया रचना कही है आदरणीय सुशील सरना जी सर, इस लघुकथा के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें|
आदाब जनाब समर साहब । तेह दिल से शुक्रिया सर ।
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