आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय बबिता जी बेहतरीन कथा हेतु बधाई स्वीकारें ।
बहुत ही खूबसूरत षडयंत्र रची है आपने भी आदरणीया बबिता जी , इस सार्थक लघुकथा के लिए बधाई प्रेषित है .
हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता जी ! बेहतरीन प्रस्तुति !
बहुत खूब ,कुल छह पंक्तियों में आपने गजब कर दिया ,हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया बबीता जी
आदरणीया बबिता जी, बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. हार्दिक बधाई. सादर
हमें लगता है बबिता जी, महरी के स्थान पर मेहरारू शब्द का प्रयोग होना चाहिये, महरी =बाई और मेहरारू =पत्नि,
बजट एवं कार्य - डॉo उषा साहनी (प्रथम प्रयास)
नए अधिकारी महोदय के स्वागत की तैयारी में सारे चाटुकार यू लगे हुए थे मानो सास- ससुर दामाद का स्वागत करने की तैयारी कर रहे हों। इधर अधिकारी महोदय की नीली बत्ती बंद हुई उधर कई सारे पुष्प गुच्छ दिखने लगे। कुर्सी पर विराजमान होते ही आधे घंटे में बैठक का सरकुलर आ गया।
अधिकारी जी बोले - मैने कार्यालय का दौरा कर लिया है।
महिला कर्मियों के बच्चों के लिए क्रैच की सुविधा होनी चाहिये , बजट मांग भेजिए , बड़े बाबू , हम दस्तखत करेंगे।
सारे कार्यालय में पुताई की ज़रूरत है। बजट मंगवाइए , हम दस्तखत करेंगे।
सारे शौचालयों को मरम्मत की ज़रूरत है। बजट मंगवाइए ,हम दस्तखत करेंगे।
सारे दफ्तर में अलमारियों का हाल खस्ता है। बजट मंगवाइए , हम दस्तखत करेंगे।
एक लम्बी सूची बन गयी, बजट मंगवाने और दस्तखत करने की।
बड़ा ही काबिल अधिकारी आया है इस बार। काया ही पलट जाएगी। कानाफूसी शुरू हो गयी।
दफ्तर सुबह नौ से शाम छेः बजे तक खुलेगा - अधिकारी महोदय बोले। मैं सूर्योदय से सूर्यास्त तक काम करने वाले अधिकारी के नाम से मशहूर हूँ।
कोई भी फालतू छुट्टी की दरख्वास्त लेकर नहीं आएगा। छुट्टी को अधिकार ना माने। एक कार्य की सूची बनाइये। उस की कार्य- समिति बनाइये। सारे
कर्मचारियों को व्यस्त और इतना अधिक व्यस्त कर दिया कि आज अधिकारी महोदय को आये तीन माह बीत गए और उनसे कोई कुछ पूछने नहीं जा पाता क्यूंकि वे तो बस दफ्तर में बजट पर दस्तखत करने मात्र आते हैं। नौकरी को मात्र आठ माह ही शेष हैं , जितना बजट पर दस्तखत हो और जितना शीघ्र हो उतना भला। और फिर सूर्योदय से सूर्यास्त वाले अधिकारी के नाम से यहाँ भी तो साख जमानी है।
मौलिक एवं अप्रकाशित
लघुकथा कहने का सद्प्रयास हुआ है आ० डॉ ऊषा सहनी जी, हार्दिक अभिनन्दन स्वीकारें I कुछ बातें कहना चाहूँगा, शायद आपके काम आएँ:
१. संवादों को इन्वर्टेड कौमास में लिखें
२. संवाद यथा संभव चुस्त और छोटे रखें
३. रचना पोस्ट करने से पहले व्याकरण और बर्तनी की त्रुटियाँ अवश्य देख लें
४. रचना में जो कहना हो केवल पात्रों के कहलवाएँ
५. लघुकथा को एक से अधिक कालखंडों में नहीं बांटा जा सकता
डा साहब आपकी रचना पढ़ कर लगता नहीं यह आपका पहला प्रयास है , रचना विषय आधारित नहीं है इसे देख कर मानना पड़ता है। लेकिन आप लघुकथा में क्या कर रही हैं आपके पास व्यंग्य का मारक अस्त्र है। सबूत यह रहा // नए अधिकारी महोदय के स्वागत की तैयारी में सारे चाटुकार यू लगे हुए थे मानो सास- ससुर दामाद का स्वागत करने की तैयारी कर रहे हों। इधर अधिकारी महोदय की नीली बत्ती बंद हुई उधर कई सारे पुष्प गुच्छ दिखने लगे। // और // हम दस्तखत करेंगे।// की सायास मगर प्रभावी पुनरावृति। बहुत अच्छे डा साहब।
आदरणीय प्रदीप नील वशिष्ठ जी। अत्यन्त आनन्दित हुई आपकी सराहना से। प्रथम प्रयास है इसीलिए इतनी त्रुटियां हैं। भविष्य में और अच्छा करने प्रयास रहेगा। सादर।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |