आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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रचना को मान एवं समय देने हेतु सभी सुधि साथियों का दिल से शुक्रियाI
"रेशम के धागे"
वाहह्ह क्या बढ़िया महक आ रही है. ."माँ !क्या बना रही आप। वह जैसे ही किचन में गई आश्चर्य से आँखें बहुत कुछ कह गई।
"दादी! आप यहाँ रसोई में। अरे! मम्मी कहा है? लगता है आज सूरज पश्चिम से निकला हैं।"जीभ को दाँतो तले दबाते हुए कोमल बोल उठी. शायद उससे भी रहा ना गया.
"बहू को मैने किसी काम से बाजार भेजा है। चल तू जल्दी से मेरा हाथ बटाने आ जा। .मेरी थोड़ी सहायता कर दे।अब मेरा शरीर पहले जैसा साथ नही देता चल जल्दी हाथ- मुंह धोकर आ जा ।... दादी ने जोर देकर कहा.
" ह्म्म्म्म! इस बुढ़ापे मे ं दिमाग और ...बाकी सब तो बडा चलता है। हर दम मेरी माँ की रस्सी खिंचे रहती है। भुनभुनाते हुए बाथरूम मे घुस गई। उसके मन मे लावा उबल रहा था।
"तुम! चुप रहो लोकेश इसने जान बूझकर सब्जियों मे नमक बढाकर मेरे भाई का अपमान किया है."उस दिन इसके भाई को मैने खाने पर ना रोका था तो..। दादी का पारा सातवे आसमान पर था"
" मेरी बात सुनो अम्मा मैं भी हर बार दीदी के यहाँ से सिर्फ़ चाय पीकर और उसकी सासू माँ से जलिल होकर ही घर आता हूँ आपके इस स्वभाव की वजह से। आपको दू:ख ना हो इसलिए कभी बताता नहीं।" पापा की आवाज जरा तेज थी।
बस इतना सुनते ही दादी का चिल्लाना अचानक थम गया था।
........
"अरे! क्या सोचने लगी. जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ." दादी बोल पडी.
तभी डोर बेल घनघनाई. दरवाज़ा खोलते देखा तो सामने मामाजी! उसके शब्द हलक मे ही अटक गये।
"कुछ नही कोमल के मामा! भूल गये क्या आज रक्षा बंधन हैं., हा! कैसे याद रहे ..."दादी रसोई से बाहर आकर बोली।
इस बार मैने परिपाटी तोड़ने की ठानी है , हर बार बहन ही क्यो जाये राखी लेकर.भाई भी तो आ सकता है ना.
मौलिक एवं अप्रकाशित
आ.अर्चना जी आभार आपका
बढ़िया ताना बाना बुना है आपने विषय पर, कभी तो रीत बदलनी चाहिए| बधाई इस रचना के लिए
आ.विनय जी आपको रचना पसंद आई.इस हेतु धन्यवाद आपका
आ.ओमप्रकाश जी शुक्रिया
आ. कांता जी आपका सुझान मान्य है. पर कई बार लगा कि फ्लैश बैक ये ना कहू तो कथा अधुरी सी है.शायद इसी वजय मितव्ययिता ना रख पाई. आगे जरुर ध्यान रखूँगी. आभार आपका
आ. सुनील जी सही पकडे है आप. आफ़िस मे व्यस्तता ( इनकम टेक्स रिटन ्फ़ाइलिंग) के चलते कोई कथानक दिमाग मे आ ही नहीं रहा था. मात्र ४ घंटा पहले पिछला आयोजन और टिप्पणिया याद आई और बस कथा रच गई. विस्तार की जहाँ तक बात है उसे साधने का प्रयास करूँगी. आपको अनेकानेक धन्यवाद
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