आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आदरणीय विजय जी.
अफ़सरसाही की परम्परा को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है. सादर.
हरामखोर अफसरशाही की विरासत का बहुत सजीव चित्रण हुआ है आ० डॉ विजय शंकर जी, लघुकथा सार्थक और विषयानुरूप हुई है जिस हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित हैI (शब्दों के मध्य अनावश्यक गैप हालाकि बदमज़गी पैदा कर रहा है)
आज की भ्रष्ट अफसरशाही की फलती फूलती आगे बढ़ती विरासत पर अच्छा व्यंग किया है आद० विजय शंकर जी हार्दिक बधाई आपको |
नौकरशाही की ये विरासत सरकार दर सरकार चलती ही आ रही है सालों से और आगे भी ले जाई जायेगी ये निश्चित है .. विरासत विषय को परिभाषित करती सार्थक कथा के लिए बधाई प्रेषित है आदरणीय ...सादर
आदरणीय डॉ. विजय शंकर सर, लघुकथा का घटनाक्रम एक ऐसा सत्य है जिसे स्वयं कई बार देख चुका हूँ. आपने नौकरशाही और लालफीताशाही को बहुत सधे हुए ढंग से शाब्दिक किया है. इस प्रभावोत्पादक लघुकथा की प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर
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