आदरणीय साथिओ,
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कुछ समझ नहीं आया आ० मनन कुमार सिंह जी.
मोहतरम जनाब सुनील साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती , भटकती पीढ़ी को नसीहत करती सुन्दर लघुकथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ---
बच्चे तो कच्चे घड़े होते हैं जिनको सही शेप देना माँ बाप का कर्तव्य है, एक बढ़िया विषय पर गंभीर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको
बढ़िया लघुकथा है भाई सुनील वर्मा जीI लेखन, सम्प्रेषण और प्रस्तुति में आपकी मेहनत साफ़ साफ़ नज़र आ रही हैI हार्दिक बधाई स्वीकारेंI भाई उस्मानी जी की बातों का संज्ञान अवश्य लेंI
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