आदरणीय साथिओ,
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सरकारी कार्यालयों का सच , आपने बहुत कम शब्दों में बहुत गूढ़ और प्रभावशाली बात कह दी ...हार्दिक बधाई आपको आदरणीय डॉ विजय शंकर जी
मुहतरम जनाब विजय साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ----
कमाल कमाल कमाल ........इतना तीक्ष्ण और पैना व्यंग्य लघुकथा का ......... वाह वाह वाह............. आप कभी कभी चकित कर देते है. इतने कम शब्दों में इतनी प्रभावशाली लघुकथा. अद्भुत. ...दिल से ढेर सारी बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर सर. सादर
/"सर का सरनेम क्या है ? "/, /"ये भी मेरा काम नहीं करेगा " , और धीरे धीरे बाहर जाने लगा।/ वाह आदरणीय डॉ. सॉब । कमाल कर दिया आपने । लघुकथा अपनी वेधक शक्ित के लिए क्यों प्रसिद्ध है उसका स्टीक उदाहरण आपकी लघुकथा । दोहरी धार वाली यह लघुकथा विषय से पूरी तरह न्याय कर रही है। आयोजन की अब तक की कथाओं में से सबसे दमदार कथा है । हार्दिक शुभकामनाएं
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