For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-23 (विषय: धारा के विपरीत)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के 23 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत हैI प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-23
विषय : "धारा के विपरीत"
अवधि : 27-02-2017 से 28-02-2017 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13715

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हमारे देश को ऐसी ही लघुकथाओं की आवश्यकता है। आदरणीय गुरप्रीत जी विषयानुरूप इस दमदार प्रस्तुति के लिए ढेर सारी बधाई क़ुबूल कीजिए। सादर।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय महेंद्र कुमार जी
आदरणीय गुरप्रीत जी आदाब, बहुत बढ़िया कथानक , बड़ी बेबाकी,साफगोई के साथ संदेश यह कि हम सब संप्रदायों को मुसीबत में परस्पर सहयोग से रहना चाहिए । लख-लख बधाईयाँ स्वीकार करें ।
रचना पसंद करने के लिए आपका दिल से शुक्रिया आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी

   आदरनीय गुरप्रीत जी, ऐसे दौर में मानवता की हिफाजत करना ही सब से जरूरी होता, इस मकसद में लघुकथा सफल हुई, बहुत बधाई 

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी बहुत बहुत धन्यवाद

एक स्याह अध्याय था वह दौर और उसपर आधारित एक बढ़िया रचना लिखी है आपने, बहुत बहुत बधाई आपको

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय विनय कुमार जी

आदरणीय गुरप्रीत जी, उस दहशत के दौर को प्रदत्त विषय से जोड़ते हुए आपने एक सार्थक लघुकथा लिखी है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर 

आदरणीय गुरप्रीत जी मुशायरे में आपकी गजल पढ़ी हैं,उम्दा ग़ज़लकार होने के साथ-साथ आप बेहतरीन लघुकथाकार भी हो।इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

बहुत ही बढ़िया सम्प्रेषण , उम्दा कथानक । बहुत बधाई आपको आ0 गुरमीत जी । 

क़ैदी नम्बर 12

हाथों में हथकड़ी और पाँव में बेड़ी पहने उस क़ैदी ने जैसे ही जेल में प्रवेश किया तो सभी kकी आँखें फटी रह गईंII गोरा-चिट्टा, इकहरे बदन का लड़का जिसकी आयु 18-20 साल से अधिक नहीं होगी, उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वह इतना बड़ा अपराधी होगा। जेल में हर उम्र के क़ैदी थे, सब के जुर्म भी अलग-अलग थे उसे बहुत उत्सुकता से देख रहे थे लेकिन एक बूढा कैदी एक कोने में चुपचाप बैठा हुआ था। उसी का मज़ाक उड़ाते हुए एक कैदी बोल पड़ा:
"ए लो दद्दा, तुम्हारा पोता भी आ गया।“
बूढ़े ने नए कैदी की ओर देखा और मुस्कराते हुए पूछा:
"ओह तो ये ही है क़ैदी नम्बर 12 जोकि एक खतरनाक आतंकवादी है।"
नए क़ैदी ने ठहाका लगाते हुए कहा:
"ओह! तो मेरी तारीफ़ मुझसे पहले ही यहाँ पहुँच गयी?"
बाक़ी सभी कैदी भी उसके ठहाके में शामिल हो गए पर बूढे क़ैदी की आँखों में आसूँ आ गए। उसने एक क़ैदी को सम्बोधित करते हुए कहा:
"सच कहते हो तुम, मेरे पोते जैसा ही हैं ये। वह भी अब इतना ही बड़ा हो गया होगा।“
“मेरे दादा जी की उम्र भी तुम्हारे जितनी ही होगीII” बूढ़े के पास बैठते हुए उसने कहाI.
“मगर ये तो बताओ तुम अपराध की दुनिया में आए कैसे?” एक अधेड़ क़ैदी ने उसके कंधे पर हाथ रहते हुए पूछाI
“मेरे पिता जी किसानो और मजदूरों के हक में लड़ा करते थे, अचानक उनकी हत्या कर दी गई.”
“क्या पुलिस ने कुछ नहीं किया?”I एक अन्य क़ैदी ने प्रश्न कियाI
“आतंकवादी बताकर, झूठे मुकाबले में उनकी जान पुलिस ने ही ली थीII”
“फिर क्या हुआ?” एक सामूहिक स्वर उभराI
“उग्रवादी की औलाद कहकर मुझे स्कूल से निकाल दिया गया. मेरी माँ बहुत गिड़गिड़ाई मगर किसी ने एक न सुनी” उसने एक ठण्डी आह भरते हुए उतर दियाI
“मगर तुमने किताबें छोड़ कर हथियार क्यों उठा लिए?” बूढ़े क़ैदी ने पूछाI
“इसलिए दद्दा, ताकि जो मेरे बाप के साथ हुआ और किसी के साथ न होI”
बूढ़े क़ैदी ने उसके सर पर हाथ रखते हुए कहा:
“मगर कभी ये भी सोचा कि अगर तुम्हें कुछ हो गया तो तुम्हारी विधवा माँ और बूढ़े दादा जी का क्या होगा?
क़ैदी नम्बर 12 अब मौन थाI

मौलिक एवं अप्रकाशित

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service