आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।गोष्ठी में सहभागिता हेतु।आपकी लघुकथा आपके क़द के मुताबिक बन नहीं पाई।हम सब आपसे ज्यादा उम्मीद लगाकर रखते हैं। कभी कभी ऐसा हो जाता है।हम खुद यह निर्णय नहीं कर पाते कि इस रचना का क्या परिणाम होगा।सादर।
कथा अपना सन्देश देने में तो सफल लगती है लेकिन काफी उलझी हुई भी लगती है जिसे मेरे जैसा सामान्य पाठक पूरी तरह से समझ नहीं पाता| बधाई इस रचना के लिए
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