आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार आ० मोहम्मद आरिफ जी.
हार्दिक आभार नयना ताई.
बहुत बहुत शुक्रिया आ० तसदीक़ अहमद खान साहिब.
रचना पर इतने मनोयोग से विषद टिप्पणी देने हेतु हार्दिक आभार स्वीकार करें भाई वीर मेहता जी.
दिशा तो ठीक है आ० अनुज पर सबक . ईस्टर एग का बहाना नहीं चलेगा .कसौटी तो फिर कसौटी ही है . कथा की उत्कृष्टता पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है . सादर .
आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी. तकरीबन 18-19 साल पहले मेरी कम्पनी का एक यूनिट उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में लगना शुरू हुआ था. वहां के कमर्शियल विभाग की जिम्मेवारी इस अकिचंन को सौंपी गई थी. उस समय मेरे लिए यह बहुत बड़ी जिम्मेवारी थी, जिसकी वजह से मैं तनाव में आ गया था. तब आप जैसे एक वरिष्ठ अधिकारी ने मेरी हालत देखी और मुझे बुलाकर एक बात कही - "मिस्टर प्रभाकर! हमे ये प्रोजेक्ट "एन्जॉय" करना है न कि इसको टेंशन का कारण बनाना है", इन शब्दों ने मुझ पर जादू सा असर किया और वाकई एन्जॉय करते हुए अपने काम को सफल्तासे अंजाम दिया. मेरी बेटी की शादी पर मेरी फेमिली भी टेंशन में थी, तो यही एन्जॉय वाली बात मैंने भी सभी से कही, शादी इतनी बढ़िया और तनावमुक्त ढंग से हुई कि आनंद आ गया. यही एन्जॉय वाला फोर्मुला मैं इस आयोजन में भी फिट किया करता हूँ, जिस से मेरे करीबी बखूबी वाकिफ हैं. तो हुज़ूर! आप भी ज्यादा टेंशन मत लें और आयोजन एन्जॉय करें.
तभी तो ज्ञानी लोग कहते हैं कि जिंदगी बहुत बड़ी उस्ताद होती है जो मौके मौके पर आपको सबक़ देती भी रहती है और सिखाती भी रहती है.
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