For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -फिक्र बनकर तिश्नगी अक्सर सवर जाती है रोज़ ।

2122 2122 2122 212(1)



फिक्र बनकर तिश्नगी अक्सर सँवर जाती है रोज़ ।
उस दरीचे तक मेरी सहमी नज़र जाती है रोज़ ।।

मुन्तजिर आंखे गवाही दे रही हैं इश्क़ की ।
आइने के सामने कितना निखर जाती है रोज़ ।।

सिम्त शायद है ग़लत उलझे हुए हालात हैं ।
है मुसीबत बदगुमां घर में ठहर जाती है रोज़ ।।

जिंदगी के फ़लसफ़े में है बहुत आवारगी ।
ठोकरें खाने की ख़ातिर दर बदर जाती है रोज़ ।।

यह उमीदों का परिंदा भी उड़े तो क्या उड़े ।
बेरुखी तो बेसबब पर ही क़तर जाती है रोज़ ।

कुछ दरिंदों की तबाही ,जुर्म जिंदाबाद है ।
आत्मा तो सुर्खियां पढ़कर सिहर जाती है रोज़ ।।

बन गया चेहरा कोई उसके लिए अखबार अब ।
पढ़ शिकन की दास्तां दिल तक खबर जाती है रोज़ ।।

दे रहा है वक्त मुझको इस तरह से तज्रिबा ।
आँधियों के साथ में आफ़त गुज़र जाती है रोज़ ।।

वस्ल की ख़्वाहिश का मंजर है सवालों से घिरा ।
देखिए साहिल को छूनें यह लहर जाती है रोज़ ।।

क्या कोई रिश्ता है उसका पूछते हैं अब सभी ।।
क्यूँ इसी कूचे से वो शामो सहर जाती है रोज़ ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मैलिक अप्रकाशित
कॉपी राइट








Views: 583

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 5:10pm

बहुत सुंदर ग़ज़ल |

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on June 13, 2017 at 9:39pm

आदरणीय नविन मणि साहेब ......बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है ....बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by Mohammed Arif on June 13, 2017 at 6:40pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 13, 2017 at 9:41am

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी लाजबाब ग़ज़ल हुई है, एक से बढ़कर एक शेर , क्या बात है 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 12, 2017 at 9:59pm
bभी ब्रज जी विशेष आभार
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 12, 2017 at 8:05pm
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय..सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service