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तिरंगे की खातिर

तिरंगे की खातिर....

इस शुभ दिन पर मैं गाता हूँ,
एक गान तिरंगे की खातिर,
हर एक युवा के दिल में है,
सम्मान तिरंगे की खातिर,
उस माटी पर श्रद्धा अगाध,
उस माटी का यशगान सदा,
अनगिनत वीर हो गये जहाँ,
कुर्बान तिरंगे की खातिर.
हम जहर हलाहल पी सकते,
हम तिल तिल कर मर सकते हैं,
सह सकते हैं सारे हम,
अपमान तिरंगे की खातिर.
कुछ पाने की चाहत भी नहीं,
गर मिले बादशाहत भी नहीं,
कदमों के नीचे रखते हैं,
अरमान तिरंगे की खातिर,
हम वीर शहीदों के वंशज,
भारत माँ की औलाद हैं हम,
हम हैं कठोर चट्टानों से,
हम फूल नहीं, फौलाद हैं हम,
भारत के लिये कतरा कतरा,
यदि लहू बहा सकते हैं हम,
ले भी सकते हैं दुश्मन की,
हम जान तिरंगे की खातिर.

अजय शर्मा अज्ञात
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 17, 2017 at 11:16am
हार्दिक बधाई ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 16, 2017 at 3:27pm

इस गीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय अजय जी |

Comment by Mohammed Arif on August 15, 2017 at 8:15pm
आदरणीय अजय जी आदाब, तिरंगे और आज़ादी की गरिमा को रेखांकित करता अच्छा गीत ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on August 15, 2017 at 2:41pm
जनाब अजय शर्मा'अज्ञात' जी आदाब,गीत का प्रयास अच्छा हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
इस गीत में आपने कितनी मात्राएँ ली हैं ?

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