For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंधी जनता, राजा काना बढ़िया है ...गज़ल

22-22-22-22-22-2

नये दौर का नया ज़माना, बढ़िया है
अंधी जनता, राजा काना, बढ़िया है

अब तो है यह उन्नति की नव परिभाषा,
जंगल काटो, पेड़ लगाना, बढ़िया है

अपना राग अलापो अपनी सत्ता है,
अपने मुंह मिट्ठू बन जाना, बढ़िया है

नई सियासत में तबदीली आई है,
आग लगा कर आग बुझाना, बढ़िया है

हत्या करना बीते युग की बात हुई,
अब दुश्मन की साख मिटाना, बढ़िया है

अगर कोख में बिटिया अब तक जिंदा है,
खूब पढ़ाना, ख़ूब बढ़ाना, बढ़िया है

नहीं ज़ियादा की हमको दरकार सुनो,
रोज उड़ाना, रोज़ कमाना, बढ़िया है

सारी बस्ती जल जाए तो जल जाए,
अपना छप्पर आप बचाना,बढ़िया है

~ बलराम धाकड़
मौलिक एवं अप्रकाशित।

Views: 1134

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 18, 2017 at 9:29pm

हार्दिक बधाई आदरणीय बलराम जी |

Comment by Ajay Tiwari on October 18, 2017 at 7:00am

आदरणीय बलराम जी,

अच्छी व्यंगात्मक ग़ज़ल हुई है. शुभकामनायें.

सादर 

Comment by indravidyavachaspatitiwari on October 6, 2017 at 6:33pm

आपकी गजल बढिया है आपका गाना बढिया धाकड़ साहब हमने भई आपको माफ करना देर से जाना!बढिया है।

Comment by Mohammed Arif on September 19, 2017 at 9:19am
आदरणीय बलराम धाकड़ जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल , अच्छे अश'आर । गुणीजन अपनी राय दे चुके हैं । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 18, 2017 at 7:00pm

BEHATREEN TANZ BANDHUWAR - BADHAEE KE PATRA HO AP

Comment by PHOOL SINGH on August 31, 2017 at 4:08pm

बेहतरीन रचना

Comment by कंवर करतार on August 25, 2017 at 10:43pm

धाकड़ भाई ,देर से रूवरू हुआ आपकी ग़ज़ल से I  बहुत खूब Iमेरी एक  जिज्ञासा  है कृपया मतले के उला का  (नये दौर का नया ज़माना, बढ़िया है)तथा  ' कोख में बिटिया अब तक जिंदा है', का तक्तीय कर के बताएं  ताकि मेरे  ज्ञान में वृद्धि हो सके Iसादर आभार I 

Comment by Balram Dhakar on August 23, 2017 at 8:28pm
आदरणीय रवि शुक्ला जी, हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। आगे की ग़ज़लों में तकाबुले रदीफ़ का ध्यान रखने का प्रयास रहेगा। 6ठे ओर सातवें शैर में आपके सुझाये विकल्पों को यथावत ले रहा हूँ।
सादर धन्यवाद।
Comment by Ravi Shukla on August 22, 2017 at 5:00pm

आदरणीय बलराम जी आपकी किसी पहली गजल से दो चार हो रहे है बहुत बहुत मुबारकबाद इस गजल के लिये कुबूल करें

विद्वत जन इस पर अपनी राय दे ही चुके है । दूसरे तीसरे और चौथे में तकाबुले रदीफ भी हो रहा है

2 सरे शेर में   नई नई ये उन्नति की परिभाषा है

6 ठे शेर में     अगर कोख में बिटिया अब तक जिंदा है ( आपके शब्‍दों को दूसरे विकल्‍प के अनुसार )

7 वें शेर मे     नहीं जियादा की हमको दरकार सुनो ( अपिरग्रह की मूल भावना को लते हुए )  त्‍वरित सुझाव के रूप में विचार कर सकते है ।

पुन: बधाई स्‍वीकार करें आदरणीय बलरामजी ।सादर

Comment by Balram Dhakar on August 22, 2017 at 3:44pm
जनाब समर कबीर साहब, आदाब। आपकी हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। ये पहला ही प्रयास था ओ बी ओ पर। ग़ज़ल में आप जैसे बड़े उस्ताद की शिरक़त से खुद को खुशनसीब समझता हूँ। दूसरे, 6वें और 7वें शेर को फिर से कहने का प्रयास करूंगा।
एक बार फ़िर, बहुत बहुत शुक्रिया आपका।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service