आदरणीय साथिओ,
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विनम्र आभार आदरणीय।
प्रदत्त विषय को सार्थक करती प्रभावशाली लघुकथा , हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय डॉ सुकुल जी
विनम्र आभार , आदरणीया।
बहुत खूब जमीर /स्वाभिमान इंसान का सबसे बड़ा गुण होता है .प्रदत्त विषय से पूर्णतः न्याय करती हुई शानदार लघु कथा के लिए आद० सुकुल जी आपको बहुत बहुत बधाई |
विनम्र आभार , आदरणीया।
मेरा सुनहला भविष्य मेरे पराक्रम की नीव पर ही स्थिर रह सकेगा किसी फरिश्ते की कृपा पर नहीं। ’’ इस लघुकथा की इसी पंक्ति ने सार्थकता प्रदान कर सुंदर लघुकथा का रूप दे दिया | हार्दिक बधाई डॉ. सकुल साहब
हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ टी आर सुकुल जी ।बेहतरीन लघुकथा।
विनम्र आभार आदरणीय।
अति सुंदर एवं प्रभावोत्पादक लघुकथा कही है आ० डॉ विजय शंकर जी. फेंटेसी तत्व से रचना ने एक विलक्ष्ण रूप भी लिया है, जिस हेतु आपको हार्दिक बधाई. मुझे लगता है कि पहला पैरा अनावश्यक रूप से लम्बा होकर थोडा बोझिल हो गया है, उसे थोडा चुस्त-दुरुस्त करने से लघुकथा और भी मारक बनेगी. सादर.
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