For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इश्क इससे क्यूँ दुबारा हो गया (ग़ज़ल 'राज')

२१२२ २१२२ २१२

थोड़े  थोड़े में गुजारा हो गया 
मुश्तभर किस्सा हमारा हो गया 


कहकशाँ में ढूँढती बेबस नज़र    

ख़्वाब  अपना  इक सितारा हो गया

 

चाँद की चाहत कभी हमने न की 
एक जुगनू ही सहारा हो गया 

 

छटपटाती देख बेघर सीपियाँ 

दिल समन्दर का किनारा हो गया

 

बेवफा इस जिन्दगी ने फिर ठगा        

इश्क इससे क्यूँ दुबारा हो गया

 

 बातों बातों हार बैठे दिल को हम  

 बेखुदी में बस  ख़सारा हो गया

 

सब गुलों को है खटकता वो गुलाब

जो सुखन में इस्तआरा हो गया 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 829

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2017 at 11:36am

मोहतरम जनाब  तस्दीक जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया | तकाबुले रदीफैन जुज्वी है जो एक आध शेर में मान्य होता है | इससे में  तनाफुर का कुछ नहीं हो सकता इससे ,जिससे किससे  में स और से को अलग कर  ही नहीं सकते और ये शब्द मिसरे की डीमांड है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2017 at 11:32am

आद० सुरेन्द्र नाथ भैया  ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया मेरा लिखना सार्थक हो गया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2017 at 11:31am

आद० अजय तिवारी जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया 



सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2017 at 11:30am

आद० बृजेश कुमार जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 16, 2017 at 11:15am
मुह्तरमाराजेश कुमारी साहिबा , उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ
शेर 5 एब-तक़ाबुले -रदिफेन और एब -तनाफुर ( इस से ) हो रहा है , देख लीजिएगा
Comment by नाथ सोनांचली on November 16, 2017 at 4:15am
कहकशाँ में ढूँढती बेबस नज़र
ख़्वाब अपना इक सितारा हो गया
वआह वाह
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, बहुत बढ़िया ख्यालों को बुनती ग़ज़ल कही आपने, बहुत बहुत बधाई आपको।
Comment by Ajay Tiwari on November 15, 2017 at 1:45pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी,

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है.हार्दिक शुभकामनाएं.

सादर  

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 14, 2017 at 12:57pm
बहुत सुन्दर आदरणीया बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही..सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2017 at 12:04pm

आद० तेजवीर सिंह जी, ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2017 at 12:03pm

आद० डॉ० आसुतोष मिश्रा जी,आद० मोहम्मद आरिफ जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार .ख़सारा- नुक्सान/हानि   इस्तआरा -उपमा/ रूपक

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service