आदरणीय साथिओ,
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प्रदत्त विषय पर अच्छी प्रस्तुति है आ. विनय जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आ. समर कबीर सर की बातों का संज्ञान लें. सादर.
भाई विनय कुमार सिंह जी, आपने प्रयास में तो यकीनन कोई कमी नहीं रखी होगी, लेकिन प्रयास नाकाफी रह गया. जिस तरफ आ० समर कबीर साहिब ने इशारा भी किया है. रचना में वाक्य संयोजन में मामूली सा फेर बदल कर लेने से रचना और भी चमक उठेगी. इस विषय को परिभाषित करती हुई लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
बहुत अच्छी लघु कथा आद० विनय जी हार्दिक बधाई
वाह वाह बहुत सुन्दर कथानाक हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी
'दिलफेंक'
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस दरवाज़े पर कदम रखने की मिस्टर विशाल!! या रास्ता भटक गये हो?”
मौली ने गुस्से के लहजे मैं कहा|
“रास्ता आज नहीं भटका मौली वो तो पहले भटक गया था जिसके लिए मैं बहुत शर्मिन्दा हूँ आज तो वापस लौट के आया हूँ अपने घर वापस चलो प्लीज़ मैं सब बीती बातों के लिए सबके सामने माफ़ी माँगता हूँ” कह कर विशाल माँ बाबू जी के चरणों में झुक गया|
“माफ़ कर दो बेटी, दामाद जी अपने किये की माफ़ी मांग रहे हैं वो कहते हैं ना सुबह का भूला” ...
”बस-बस.. माँ मुझे पता है आप क्या कहोगी जिस कहावत के चक्कर में आप भाई की हर गलती माफ़ करती आई हो और भाभी को समझाती आई हो मैं उसे नहीं मानती मैं एक स्वावलम्बी लडकी हूँ सही और गलत अच्छे से पहचानती हूँ |
और कितनी बार माफ़ करूँ ये तो अपना दिल ताश के पत्तों की तरह बाटता फिरता है यही फितरत है इसकी|
और इस बार पता है क्यूँ लौट कर आया है क्यूंकि ये रंजीता नाम की जिस चुड़ैल के साथ रंगरलिया मनाता था वो इसको लूटकर भाग गई और ऊपर से रेप के चार्ज में भी इस को फँसाया बचने के लिए पन्द्रह लाख देकर इन्होने पीछा छुड़ाया वरना नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता|
इस से पूछो यदि यही गलती मैंने की होती तो क्या ये माफ़ कर देता?”
“मेरी आत्मा ने भी इसी प्रश्न को लेकर मुझे बार बार धिक्कारा मौली तभी मैं तुमसे माफ़ी मांगने की हिम्मत कर पाया बस एक मौका मुझे और देदो” हाथ जोड़ कर विशाल बोला|
“बेटी दामाद जी रास्ता भटके थे वापस तो आये किन्तु बहुत बड़ा जख्म खाकर आये इस लिए एक अवसर देकर देख लो बेटा कई बार गाँठ लगा धागा प्लेन धागे से मजबूत निकलता है” माँ ने कहा |
“ठीक है माँ एक अवसर और देकर देखती हूँ कहते कहते मौली अंदर जाकर फोन पर बात करने लगी थैंक्स यार रंजीता तेरा प्लान सफल हो गया | चेहरा देखने लायक है उसका तरस भी आ रहा है दुबारा एसा न करने की कसमें खा रहा है मेरे इस दिलफेंक पति को सुधारने का बेहद शुक्रिया सखी तेरा एहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूँगी पन्दह लाख मेरे अकाउंट में पँहुच चुके हैं”|
मौलिक एवं अप्रकाशित
हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी। लाज़वाब एवम संदेश परक लघुकथा।
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