आदरणीय साथिओ,
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रचना , शिल्प , सम्प्रेषण सब बहुत ही उम्दा है परंतु भाषाई क्लिष्टता से प्रवाह अवरोधित होता लगा ।सादर ।
कुछ तकनीकी एवं वैधानिक शब्दों के शामिल होने के कारण ऐसा हुआ है,जिनसे बचने में और दुरूहता की स्थिति बनती, आदरणीया।रचना को मान देने के लिए आपका आभारी हूँ।
अच्छी लघुकथा है आ. मनन जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. मेरी हिसाब से यदि शुरुआत में भी दो-चार संवाद होते तो और बढ़िया होता. सादर.
आभारी हूँ आदरणीय।
ऋण निपटान के पुरातन नियम अपने इतिहास पर आठ-आठ आँसू रो रहे थे।// बहुत खूब वाह ,प्रदत्त विषय पर बड़े ही रोचक अंदाज़ में कथा कही है आपने हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार जी
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया प्रतिभा जी।
आदरणीय वसुधा गाडगिल जी प्रस्तुत रचना, धर्म के जिस अनोखे पक्ष को सामने रखती है वह सहज ही काबिलेगौर और एक नयी सोच दिखाती है..इसके लिए बधाई देना भी बनता है लेकिन यदि प्रदत विषय की बात करे तो शायद ( मेरे विचार) ये रचना उस पर खरी नहीं उतरती है... मात्र अंत में एक लाइन /शब्द इतिहास जोड़ने से रचना विषय पर आधारित हो जाए, ऐसा मुझे नहीं लगता.. सादर वसुधा जी
स्वतंत्र रूप में लघुकथा अच्छी हुई है, लेकिन प्रदत्त विषयानुरूप नहीं है आ० डॉ वसुधा गाडगिल जी. आयोजन में सहभागिता हेतु हार्दिक अभिनंदन स्वीकारें.
हार्दिक बधाई आदरणीय वसुधा जी।एकदम नये विषय को लेकर बेहतरीन लघुकथा।पर शायद इतिहास शीर्षक से मेल नहीं खाती।
मुहतर्मा वसुधा साहिबा ,लघुकथा तो अच्छी हुई है मगर प्रदत्त विषय के दायरे से दूर हो गई ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।
बेहतरीन सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया वसुधा गाडगिल जी। मुझे तो ऐसा लगा कि रचना प्रदत्त विषयांतर्गत ही है! कारण :
१- ऐतिहासिक परंपरा है कि टेलर वगैरह इस तरह कपड़ों/कपड़ों के टुकड़ों का सदुपयोग करते रहे हैं!
२- इतिहास गवाह है कि देश में ऐसे हिंदू और मुसलमान भी रहे हैं, जिनमें वसीम भाई और पंडित जी के बीच जैसी अंडरस्टैंडिंग/तालमेल/ सद्भाव रहा है, जिसकी वजह से वर्तमान में भी हिंदू- मुस्लिम यहां साथ-साथ लोकतंत्र में रह रहे हैं। प्रदत्त विषय कई अनकही बातों में बाख़ूबी परिभाषित हुआ है।
३- इतिहास गवाह है कि धर्म और धार्मिक स्थलों/ग्रंथों के मुआमलों में दो विपरीत धर्मों के लोग पूर्वाग्रहों से ग्रस्त हो कर यूं शंका और सवाल किया करते हैं! // ज़रुर इसमें कोई साजिश है!"// .. संवाद का यह वाक्यांश यही ज़ाहिर कर रहा है। देश में हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के प्रति ऐसी बातचीत/ शंका/ पूर्वाग्रह/ सवालात करते/ करते रहे हैं। यह सब हमारे इतिहास का ही हिस्सा हैं और वर्तमान के हालात भविष्य का इतिहास होने ही जा रहे हैं।
४- अंतिम पंक्ति जबरन नहीं रखी गई है, बल्कि पूरी रचना ही आरंभ से इसी कारण चित्रांकन- दृश्यांकन/ शब्दांकन द्वारा बाख़ूबी बुनी गई है।
५- हां, यह बात ज़रूर है कि अंतिम पंक्ति कुछ बेहतरीन तरह से भी कही जा सकती है। जैसे : //
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