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आदरणीय अजय गुप्ता जी आदाब,
खेत-खलिहान , फसल, खेतों की सुंदरता मवेशियों आदि का बखान करती बेहतरीन और सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई.स्वीकार करें ।
शुक्रिया आरिफ साहब.
शुक्रिया डॉक्टर साहब
सुन्दर गीत , सुन्दर प्रयास। किन्तु केंद्रीय भाव में ग्राम्य अंचल से जुड़ी बचपन की स्मृतियाँ हैं। प्रदत्त विषयानुसार केंद्रीय भाव में खेत और खलिहान होने चाहिए थे।
आदरणीय अरुण जी, आपके बहुमूल्य सुझावों के लिए आभार। और अच्छा कहने का प्रयास करूंगा।
आ. भाई अजय जी, प्रदत्त विषय पर बहुत ही खूबसूरत रचना हुई है । बहुत बहुत बधाई स्वीकारें ..
शुक्रिया लक्ष्मण भाई
वाह, बहुत ही सुंदर सा गीत रचा है भाई अजय गुप्ता जी. हार्दिक बधाई.
आभार योगराज जी
आद0 अजय जी सादर अभिवादन। बढिया सृजन। इस प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई। इसमे आपने क्या मात्रा विधान लिया है??
शुक्रिया सुरेंद्र जी। मात्रा विधान 12122 x 4 लिया है
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