For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - आपने भी तो कहाँ ठीक से जाना मुझ को

आपने भी तो कहाँ ठीक से जाना मुझ को
खैर जो भी हो, मुहब्बत से निभाना मुझ को.
.
जीत कर मुझ से, मुझे जीत नहीं पाओगे
हार कर ख़ुद को है आसान हराना मुझ को.
.
मैं भी लुट जाने को तैयार मिलूँगा हर दम
शर्त इतनी है कि समझें वो ख़ज़ाना मुझ को.
.
आप मिलियेगा नए ढब से मुझे रोज़ अगर
मेरा वादा है न पाओगे पुराना मुझ को.
.
ओढ़ लेना मुझे सर्दी हो अगर रातों में
हो गुलाबी सी अगर ठण्ड, बिछाना मुझ को.
.
मुख़्तसर है ये तमन्ना कि अगर जाँ निकले
आप की गोद का मिल जाए सिरहाना मुझ को.
.
कर सराबोर मुझे मुझ में बरस कर ऐ ‘नूर’
अपनी बस्ती में कहीं दे दे ठिकाना मुझ को
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 916

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 10, 2018 at 1:41pm

वाह आदरणीय नूर जी उम्दा गजल कही आपने. हार्दिक बधाई 

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on June 10, 2018 at 7:48am
Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 4, 2018 at 7:21pm

शुक्रिया आ. बसंत जी 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 2, 2018 at 10:19am

वाह वाह लाजबाब गजल हुई है,मुग्ध हूँ , बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 4, 2018 at 11:26am

आभार आ. समर सर 

Comment by Samar kabeer on May 4, 2018 at 11:20am

बधाई हो निलेश जी ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 4, 2018 at 11:00am


मेरी ग़ज़ल को फीचर्ड blogs में शामिल करने के लिए शुक्रिया आ. प्रधान सम्पादक जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 3, 2018 at 11:01am

धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 3, 2018 at 11:01am

धन्यवाद आ. तेजवीर सिंह जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 2, 2018 at 6:14pm

आ. भाई नीलेश जी, सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
21 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service