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सीख लिया है- एक ग़ज़ल

बचके चलना सीख लिया है
हमने संभलना सीख लिया है


वक़्त सदा होता ना अच्छा
हमने बदलना सीख लिया है


देख समंदर की लहरों को
हमने मचलना सीख लिया है


दर्द अगर हद से बढ़ जाए
हमने पिघलना सीख लिया है


भाग रही अपनी दुनिया में
हमने ठहरना सीख लिया है


आसमाँ की ख़्वाहिश सबकी
हमने उतरना सीख लिया है !!

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Comment

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Comment by Samar kabeer on July 23, 2018 at 6:16pm

नीलम जी, ये तेजवीर सिंह जी की लघुकथा नहीं,विनय जी की ग़ज़ल है, देखिये ।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 23, 2018 at 2:57pm

 आदरणीय तेजवीर सिंह जी, अच्छी सन्देश परक लघुकथा की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें । 

Comment by विनय कुमार on July 23, 2018 at 1:12pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, त्रुटि की तरफ इंगित करने का शुक्रिया. सुधारने की कोशिश करता हूँ

Comment by विनय कुमार on July 23, 2018 at 1:11pm

बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी

Comment by विनय कुमार on July 23, 2018 at 1:10pm

बहुत बहुत आभार आ बबिता गुप्ता जी

Comment by विनय कुमार on July 23, 2018 at 1:10pm

बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब

Comment by Samar kabeer on July 22, 2018 at 12:25pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,आपको ग़ज़ल कहते देख प्रसन्नता हुई,अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

अंतिम दो अशआर में क़ाफ़िया दोष है,देखियेगा ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 22, 2018 at 11:38am

हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।

दर्द अगर हद से बढ़ जाए 
हमने पिघलना सीख लिया है

Comment by babitagupta on July 21, 2018 at 11:07pm

समय के साथ चलने से जिन्दगी थोडी सी आसान हो जाती है, बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सर जी. 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 21, 2018 at 6:18pm

जी,बिल्कुल। .... वक़्त/विज्ञान-तकनीक-विकास/विश्व-विकास/सामाजिक-आर्थिक-व्यावसायिक विकास अर्थात वक़्त के साथ, हालात के साथ हमने बदलना सीख लिया है। बेहतरीन यथार्थपूर्ण ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय विनय कुमार साहिब।

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