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आदरणीय सौरभ भाई जी बहुत अच्छी गजल आपने कही शेर दर शेर मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए वह अवस्था बता गया है मुझे इस शेर के लिए खासतौर से दाद कुबूल करें सादर
आदरणीय रवि भाई, आपकी गुण-ग्राहकता का सादर धन्यवाद ..
जय्-जय
जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब आदाब,तरही मिसरे पर,अपने मख़सूस अंदाज़ में अच्छे अशआर निकाले आपने ।
छोड़ कर तू.. चला गया है मुझे
सबसे कहना ये भा गया है मुझे--मतले के दोनों मिसरों का रब्त हर कोई समझ नहीं पायेगा,मगर मतला ख़ूब हुआ-वाह ।
क्या हुआ वो निभा नहीं पाया
सब्र करना तो आ गया है मुझे--गिरह मुनासिब है ।
दोस्ती में परत जो होती है
यार मेरा दिखा गया है मुझे--उम्दा शैर ।
तुम सियासत के चोंचले रक्खो
खेल का ढंग आ गया है मुझे--ये शैर भी आपके ख़ास अंदाज़ की तर्जुमानी कर रहा है ।
जब कि मेरा ही नाम चलता है
फ़ासले पर रखा गया है मुझे --इस शैर का सानी मिसरा जनाब शिज्जु भाई से टकरा गया है ।
जब जगत में न भान हो जग का
वो अवस्था बता गया है मुझे--बहुत महीन,वाह वाह ।
रौशनी की छुअन से सहला कर
चाँद फिर से जगा गया है मुझे--अय-हय ,क्या क़त्ल करने का इरादा है?बहुत नाज़ुक शैर वाह ।
अह ! लगा.. वो अभी-अभी ग़ुज़रा
या, कि माज़ी भिगा गया है मुझे--ये शैर भी आपके ख़ास अंदाज़ का भरपूर अक्कास है ।
जुगनुओं से अँधेरे जलते हैं
बोल कर ये छला गया है मुझे --बहुत ख़ूब ।
एक मुकम्मल ग़ज़ल के लिए दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
जनाब सौरभ पांडे साहिब,
उम्दा अश्आर बहुत बहुत मुबारकबाद आपको,,
आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय अफ़रोअ सहर साहब
आदरणीय समर साहब, इस तुरंता प्रस्तुति को आपने जो सम्मान दिया है मुझे नहीं मालूम यह कितने की हक़दार है. लेकिन आपकी समीक्षकीय निर्ममता के प्रति पूरा विश्वास है जो ग़लत को ग़लत कहने से नहीं चूकती.
ग़ज़ल को स्वीकारने और मान देने लिए आपका आभार
//इस शैर का सानी मिसरा जनाब शिज्जु भाई से टकरा गया है //
वस्तुतः हमने इसे रात में ही देख लिया था जब यह ग़ज़ल पोस्ट की थी. फिर इसे बदलने का प्रयास किया और एडिट बॉक्स में ही बदल भी दिया .. दूर से ही सुना गया है मुझे ..
लेकिन बात एकदम से बनती हुई नहीं लगी. तो फिर सानी को वही रहने दिया.
लेकिन ऐसा होता है जब किसी तरह पर कई-कई शाइरोंं द्वारा इकट्ठे ग़ज़लग़ोई हो रही हो. अपने तरही मुशायरे के ही १०० कडियों के इतिहास में ऐसा कई बार हो चुका है.
सादर धन्यवाद
सत्य वचन ।
जब कि मेरा ही नाम चलता है
फ़ासले पर रखा गया है मुझे वाह! वाह! ख़ूब !
जब जगत में न भान हो जग का
वो अवस्था बता गया है मुझे। बहुत ही उम्दा शे'र ।
शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद आदरणीय सौरभ पांडे जी ।
आ० मो० आरिफ़ जी, आपको प्रस्तुति पसंद आयी, यह मेरा अहोभाग्य है !
हार्दिक धन्यवाद, भाई
काफ़ी समय बाद आपकी ग़ज़ल आई है, आ. सौरभ पाण्डेय जी अच्छी ग़ज़ल हुई है। लाजवाब। तहेदिल से मुबारकबाद आपको।
भाई शिज्जू जी, आपको मेरा कहना भला लगा है यह मेरे लिए शान की बात है. यह ज़रूर है कि एक अरसे के बाद ग़ज़ल कहने बैठा था. सो थोडा भय तो था ही.
आपका हार्दिक धन्यवाद
आ. सौरभ सर,
आप से बहुत शिकायत है...
आप मंच को इतनी बेहरतीन ग़ज़लों से महरूम किये बैठे हैं... आते ही नहीं हैं..
इस ग़ज़ल और आप की उपस्थिति के लिए कोटिश: आभार
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