साथियों,
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बहुत बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब
आप हमेशा हौसला अफ़ज़ाई कर के मुझ नाचीज़ को और बहतर कहने के लिए प्रेरित करते हैं आप की महब्बतों का मशकूर हूं और मक़रूज़ भी
अापकी सलाहियतों को सलाम पैश करता हूं मुहतरम
आदरणीय जावेद साहब अच्छी ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर मुबारकबाद कुबूल करें हालांकि गिरह के शेर से मैं संतुष्ट नहीं हो पाया हूं सादर
मुहतरम रवि शुक्ला जी आदाब ,
आपकी सुख़न नवाज़ी का बेहद ममनून हूं
बहुत शुक्रिया
इँशाअल्लाह अगली ग़ज़ल में गिरह से भी पूरी तरह संतुष्ट करने का प्रयास करूंगा।
मोहतरम मिर्ज़ा जावेद बेग साहिब दूसरी ग़ज़ल भी बेहतरीन हुई है सादर बधाई आपको
मुहतरम जनाब शिज्जू शकूर साहिब आदाब ,
सुख़न नवाज़ी का बेहद शुक्रिया
मैरा मुझमें बचा नहीं कुछ भी!
वो मुकम्मल चुरा गया है मुझे! वाह! वाह!! दूसरा धमाका भी बड़ा ही ज़ोरदार ।
शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद आदरणीय मिर्ज़ा जावेद जी ।
मुहतरम आरिफ़ साहिब आदाब
आप सब की दुआओं का फ़ैज़ है जो ग़ज़ल मँच के तमाम एहबाब पसंद फ़रमा रहे हैं बहुत बहुत शुक्रिया
मोहतरम मिर्ज़ा जावेद बेग साहिब दूसरी ग़ज़ल भी बेहतरीन हुई है सादर बधाई आपको
शिज्जू शकूर साहिब आदाब
बहुत ॆशुक्रगुजार हूं आपकी महब्बतों का
जनाब मिर्ज़ा जावेद बेग साहिब
, ख़ूबसूरत अश्आर मुबारकबाद आपको,,,
मुहतरम जनाब अफ़रोज़ सहर साहिब आदाब ,
सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिए ममनून ए करम हूं
आ. मिर्ज़ा साहब,
अच्छी ग़ज़ल हुई है ..मुबारक़बाद..
इज़ाफ़त में मेरी जानकारी के अनुसार ए का वज़'न या ० होगा या १ .. २ होगा या नहीं इस पर उस्ताद प्रकाश डालेंगे ..
सादर
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