साथियों,
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अच्छी ग़ज़ल है दिलबाग़ विर्क जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
शुक्रिया महेंद्र कुमार जी
जनब दिलबाग विर्क जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
शुक्रिया आदरणीय
आदरणीय विर्क जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.
शुक्रिया तिवारी साहब
आदरणीय दिलबाग जी आदाब,
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिए ।
शुक्रिया आदरणीय
एक मुद्दत के बाद ओबीओ में आपको देखकर अच्छा लगा. बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई दिलबाग सिंह विर्क जी हार्दिक बधाई प्रेषित है. दूसरे शेअर के ऊला में "में" और "मैं" की तकरार है, मिसरे को यूँ कर लेना बेहतर होगा
//यूँ ही उड़ता रहा, हवाओं मैं/
शुक्रिया आदरणीय
आदरणीय दिलबाग़ विर्क जी, एक अरसे बाद आपका ओबीओ के पटल पर आना हो रहा है.
बधाई हो.
आपकी ग़ज़ल की प्रस्तुति से मुशायरे की सौवीं कडी ग़ुलज़ार हो गयी.
शुभातिशुभ
जनाब दिलबाग विर्क साहब ..एक अरसे बाद आपको देखकर अच्छा लगा...ग़ज़ल पर मेरी दाद और मुबारकबाद कबूल कीजिये|
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