आदरणीय साथिओ,
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जनाब मनन कुमार साहिब, प्रदत्त विषय पर सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l
आभार आदरणीय तसदीक जी।
आदरणीय मनन जी, आपने तो विषय के सापेक्ष ब्रह्माण्ड से कई प्रतीक उठाकर एक महागाथा ही गढ़ दी. इस लघुकथा का प्रवाह काव्यात्मक आनंद भी दे रहा है. एक कलमकार और शब्द बीज जैसे भविष्यगामी प्रेरणास्पद वाक्य मुग्ध कर रहे हैं. विषय के सापेक्ष इस सार्थक अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें. वर्तनी के सम्बन्ध में गुनीजनों द्वारा कहा जा चूका है, निसंदेह वह त्रुटियाँ आप दूर कर लेंगे. सादर
आभार आदरणीय मिथिलेश जी।प्रयास पसंद आया, यह खुशी का सबब है।
हमेशा की तरह कुछ हटकर लिखा है आपने, बढ़िया रचना विषय पर. बहुत बहुत बधाई आ मनन कुमार सिंह जी
आभार आदरणीय विनय जी।
प्रदत्त विषय पर सकारात्मकता का बोध कराती शानदार प्रस्तुति , हार्दिक बधाई आदरणीय मनन जी
आभार आदरणीया।
इस सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी|
प्रदत्त विषय पर उम्दा लघुकथा हुई है आदरणीय मनन कुमार सिंह जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
सियासत
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अनवर अंसारी ने विधान सभा चुनाव का पर्चा दाखिल करने के बाद अपने कार्य कर्ताओं को घर पर मीटिंग लेते हुए अपनी परेशानी ज़ाहिर करते हुए कहा, "इस बार का चुनाव पिछले चुनाव के मुक़ाबले मुश्किल हो गया है इसलिए मशवरे के लिए आप सबको यहाँ पर बुलाया है"
एक कार्यकर्ता बोला, "आपकी छवि नरेश गुप्ता से अच्छी है, पिछला चुनाव आपने जीता था, आप ऎसा क्यूँ कह रहे हैं"
अनवर ने जवाब में कहा, "पिछली बार सीधी टक्कर थी मगर इस बार मुस्लिम वोट के बिखराव के लिए नरेश गुप्ता ने लालच देकर खालिद अंसारी का खड़ा करवाया है "
दूसरे कार्यकर्ता ने कहा," आपने क्षेत्र में काम करवाए हैं, खालिद अंसारी से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा "
अनवर ने जवाब में कहा, "खालिद अंसारी की वजह से मुस्लिम वोट दो जगह बटेगा जिसका फ़ायदा नरेश गुप्ता को होगा "
तीसरे कार्यकर्ता ने कहा," मुस्लिम वोट न बटे इसका क्या समाधान है"
अनवर ने जवाब दिया," इसके लिए ही आप सबको मशवरे के लिए बुलाया है "
एक बुज़ुर्ग कार्यकर्ता फ़ौरन बोल पड़े," खालिद अंसारी तो बैठेंगे नहीं, आप उन्हें समर्थन दे दीजिए "
अनवर ने ये सुनते ही खालिद अंसारी को फोन मिलाकर कहा," हम दोनों अगर खड़े रहे तो जीत नरेश गुप्ता जैसे बुरे आदमी की होगी इसलिए मैं बैठ जाता हूँ "
दूसरी तरफ से खालिद अंसारी की आवाज़ आई, "माफ़ करना अनवर भाई मैं लालच में आ गया था, मैं चाहता हूँ आप जैसा नेक इंसान चुनाव जीते, मैं कल ही नाम वापस ले लूँगा"
(मौलिक व अप्रकाशित)
मोहतरम मुबारकबाद अच्छी लघुकथा सादर
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