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बस मस्त हो गये सूरज से आँख मिलाने की कल्पना मात्र से.
//कोई बन्दूक ... बात बनायी जाए.// ... बहुत अच्छे. ..
तो फिर...
//.. अब तो हर खेत में बन्दूक उगायी जाए...// .... ये कैसी उलट चाल..!! ... :-)))
वैसे .. इस ग़ज़ल से आपने दिल जीत लिया है अभिनवअरुणजी. बधाइयाँ.
पुछल्ला : और बनारस तो बना ही रस का है. जरा इसके कालातिपातिक ढंग का भी मज़ा लीजिये. .. हा हा हा
ये कलम वक़्त बदल सकती हैगर तुम चाहो,
शर्त इतनी है के हिम्मत से उठाई जाये।
बहुत ख़ूब।
''चलो फिर बात बनाई जाए''
किसी मकतल पे ना लाश बिछाई जाए
आओ मिलजुल के कोई बात बनाई जाए l
सबकी गज़लों को पढ़के हम मजा लेते हैं
आज अपनी भी कलम कुछ चलाई जाए l
मुश्किल से बनते हैं घर तिनका-तिनका
तो किसी बस्ती में ना आग लगाई जाए l
नजर ना लगाओ किसी हस्ती वाले को
अपनी भी किस्मत जरा आजमाई जाए l
न सही कोई महल और ठाठ-बांठ उसके
खंडहर में ही अपनी दुनिया बसाई जाए l
वेवफाई को भी हम बुतपरस्ती कहते हैं
दिल में किसी की मूरत ना बसाई जाए l
अंग्रेजी की अदा पे फिदा हुये लोग सभी
अब अपनी जुबां हर जुबां पे सजाई जाए l
टीवी सीरियल पे है घर-घर की कहानी
आज अपने घर की कहानी सुनाई जाए l
बच्चे पढ़ते हैं कॉमिक और कार्टून बहुत
महाभारत व गीता भी तो समझाई जाए l
जो लव स्टोरी सुन-सुन के पागल होते हैं
किसी चुड़ैल की कहानी उन्हें सुनाई जाए l
सबकी चुपचाप सुनी सारे गम अपने किये
अब जो भी सुनाये उसे आँख दिखाई जाए l
बोरियत होती है घर में काम करते-करते
अब चल ''शन्नो'' कहीं गपशप लड़ाई जाए l
-शन्नो अग्रवाल
बहुत साहस है.. इस ताक़त को सलाम.
थोड़ी मशक्कत और.. बस.. और आपकी ग़ज़ल बाकमाल..!
कुछ बंद यों रचना के लिहाज से बहुत मार्के के बन पड़े हैं.. बधाइयाँ
//मुश्किल से बनते हैं घर तिनका-तिनका
तो किसी बस्ती में ना आग लगाई जाए l//
या,
//वेवफाई को भी हम बुतपरस्ती कहते हैं
दिल में किसी की मूरत ना बसाई जाए l//
इस बंद पर विशेष दाद लीजिये..
//जो लव स्टोरी सुन-सुन के पागल होते हैं
किसी चुड़ैल की कहानी उन्हें सुनाई जाए l//
एक बात.. ग़ज़ल बनाई जाती है क्या? ..
आप किसी ज़र्रे को उड़ा-उड़ाकर जबर्दस्ती रोशन करेंगीं... अग़र आपने मुझे ग़ज़लगो कहा.
रही बात मेरी समझ की तो ये नेसेंट हाइड्रोजन की तरह है इस लिहाज से.
और, ग़ज़ल बनाने पर कहें.... तो ग़ज़ल बनाई जा ही नहीं सकती... ये तो हौले से फुसफुसाकर कही जाती है.. ये कलाकारी थोड़े ही है. .. :-)))
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