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वाह भाई राजेन्द्रजी.. आदाब.
बहुत अच्छी कही है आपने. बधाइयाँ.
//तीरगी दिल को जला कर भी मिटाई जाए.// .... या,
//बातों-बातों में बनी बात बिगड़ने क्यों दें
आओ मिल जुल के कोई बात बनाई जाए//
.. में आपका अंदाज़ोशऊर दीखता है. शत्-शत् नमन.
//जो हसीं वक़्त कभी साथ गुज़ारा हमने
इक घड़ी फिर से कैलेंडर से चुराई जाए//
बहुत खूब... इस चोरी पर कौन न मर जाए ऐ खुदा.... वाह वाह.
//दूध पी’कर भी ज़हर सांप का कम कब होता
दुख उठा कर भी भले की न भलाई जाए..//
भाई साहब, बहुत सही कहा आपने
//आदमीयत तो गंवा बैठे हैं आदमज़ादे
या ख़ुदाया ! न ख़ुदा की भी ख़ुदाई जाए//
दिल जीत लिया आपने... साधु..
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी ,
… … … !
शुक्रिया , आभार , धन्यवाद कुछ भी कहूं … या सभी कुछ कहदूं तो भी बात बनेगी नहीं ।
क्या अंदाज़ है आपका …और क्या कमाल का जिगरा !!
आप मेरे साथ इस ईमानदारी के साथ , इस ख़ुलूसो-मुहब्बत के साथ , ऐसी पाकीज़गी से पेश आएं
और फिर भी मैं मेरा ही रह पाऊं … ऐसी मेरी ताब कहां !
बिक गया हुज़ूर … मुरीद हो गया आपका ।
इस ब्लॉगजगत में भी कुछ ऐसे हैं , जो गुणी तो हैं … लेकिन दंभ में आत्मघात करते मर रहे हैं …
गुण पाना इतना मुश्किल नहीं , जितना इंसान होना ।
बहुत कुछ सीखना है आपसे …
प्रणाम स्वीकारें !
प्रियवर राणा प्रताप सिंह जी ,
आपकी दृष्टि को नमन है !
…इस तरही मुशायरे के बारे में कितना पहले आपने मुझे बताया था … ख़ैर , अब ही सही ।
हालांकि मेरी व्यस्तताएं और परिस्थितियां मुझे कुछ भी मनचाहा करने नहीं देतीं ।
मैं दूसरे तमाम शोअरा हज़रात से मा'फ़ी चाहता हूं कि मैं सबको अच्छे कलाम के लिए मुबारकबाद भी नहीं दे पा रहा हूं … ।
सच तो यह है कि इतने सारे पन्नों में से मैं सबकी ग़ज़लियात पढ़ भी नहीं पाया हूं ।
आपकी साइट का सिस्टम मुश्किल भी लगता है … :(
♥~*~हर अच्छी ग़ज़ल के लिए मेरी मुबारकबाद यहीं से कुबूल हो ! ~*~♥
कल जब सबकी रचनाएं एक साथ एक पन्ने पर आ जाएंगी तो अवश्य पढ़ कर पनी बात कहने का प्रयास करूंगा ।
माताजी के लिए परमात्मा से आपकी कामना हेतु आभारी हूं …
जो हसीं वक़्त कभी साथ गुज़ारा हमने,
इक घड़ी फिर से कैलेन्डर से चुराई जाये।
बहुत ख़ूब राजेन्द्र भाई ,आपकी माता जी की अच्छे स्वास्थ्य की शुभ कामनाओं सहित्।
डॉ.संजय दानी जी ,
शुक्रिया आपकी बहुमूल्य टिप्पणी के लिए !
माताजी के स्वास्थ्य के लिए आपकी शुभकामनाओं के लिए भी आभारी हूं …
मुझे अपने प्यार और आशीर्वाद से नवाज़ने वालों की दुआओं और शुभकामनाओं से मेरी 82 वर्षीया मां भी अभिभूत और आभारी है …
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