आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ एकवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
21 सितंबर 2019 दिन शनिवार से 22 सितंबर 2019 दिन रविवार तक
इस बार के छंद हैं -
1. शक्ति, तथा
2. तोमर
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
एक बात और, आप आयोजन की अवधि में अधिकतम दो ही रचनाएँ प्रस्तुत कर सकते हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
तोमर छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
21 सितंबर 2019 दिन शनिवार से 22 सितंबर 2019 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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Replies are closed for this discussion.
जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब,प्रदत्त चित्र को बहुत ख़ूबसूरती से परिभाषित करते बहुत उम्द: शक्ति छन्द लिखे आपने,आनन्द आ गया,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
'सभी एक हो चलो ठान लें'
इस पंक्ति में शायद टंकण त्रुटि है,ये पंक्ति शायद ऐसे होगी?
'सभी एक हो कर चलो ठान लें'
आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुति पर आपकी प्रशंसा मिली मन प्रसन्न हो गया. आपका ह्रदय से आभार.//सभी एक हो चलो ठान लें'// इस पंक्ति को मैंने //सभी एक मत हो चलो ठान लें'// ...इस तरह लिखा था. किन्तु किसी कारणवश ड मत टंकित होने से रह गया है. आपने भी उत्तम सुझाव दिया है. पुनः आभार आपका. सादर
आदरणीय अशोक रक्ताले जी प्रदत्त चित्र के भाव को परिभाषित करती सुंदर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
सभी एक मत हो चलो ठान लें ।
नियम कायदों को सभी मान दें ।
करें देश हित के भले कर्म अब ।
यही है समझ लो मनुज धर्म अब ।। सुंदर एवं सटीक अभिव्यक्ति आदरणीय हार्दिक बधाई सादर
आदरणीय भाई सत्यनारायण सिंह जी सादर, आपको मेरी प्रस्तुति चित्र अनुरूप लगी ।मेरा रचना कर्म सफल हुआ । हार्दिक आभार । सादर ।
आदरणीय अशोक भाईजी ....... बहुत खूब ! जिस शक्क्ति छंद में 12 - 16 पद लिखना मुश्किल है वहाँ आपने 20 पंक्तियाँ एक असामान्य चित्र के अनुरूप लिख दी। हृदय से बधाई स्वीकार कीजिए।
किसी को न परवाह ही है न डर । ........ सभी 19 पंक्तियों में जो प्रवाह है वो यहाँ नहीं है ........ परवाह के बाद के सभी शब्द प्रवाह में
बाधक है, कुछ उलट पलट से ठीक हो जाएगा।
सभी एक हो चलो ठान लें । ........... सभी एक हो तो चलो ठान लें ।
सादर
आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, लिखते लिखते कब पाँच छन्द हो गये पता ही न चला । आपके द्वारा इंगित पंक्ति में मैं कुछ और फेर बदल चाहता था किन्तु वह हो नहीं सका । इसलिये उसे ज्यों का त्यों रहने दिया । 'मत' एक पंक्ति में टंकीत नहीं हो सका है ।उसका खेद है । हार्दिक आभार । सादर ।
क्या कहने आदरणीय अशोक रक्ताले भाई साहब, बस यूँ समझ लें कि चित्र को शब्द मिल गएँ, बहुत बहुत बधाई.
आदरणीय बागी जी सादर, आपसे प्रस्तुति पर सराहना पाकर रचना कर्म सार्थक हो गया है । आपका हृदयतल से आभार । सादर ।
अधो वस्त्र तन पर नहीं एक है ।
अजब है मगर साण्ड भी नेक है ।।बहुत सुन्दर प्रदत्त चित्र पर बहुत खूबसूरत सृजन हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक जी
तोमर छन्द
सकल चिंता को भूल, फकीरी का यह मूल।
अन्न मिला भरा पेट, नन्दी पर गया लेट।।
दिखे जनबल चहुँ ओर, लगे झूठी सब डोर।
जगति में जिस का साथ, जनहुँ वह सबका नाथ।
।
मौलिक अप्रकाशित
आदरणीय सतिविन्द्र कुमार जी प्रदत चित्र के भाव को साकार करता सुन्दर तोमर छंद रचा है आपने हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
तोमर छंद में अछी प्रस्तुति ..... बधाई सतविंद्र भाई
आवश्यक सूचना:-
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